कांग्रेस की इस समय सबसे ज्यादा मुसीबत अपने ही हैं। पार्टी के अंदरखाने की गुटबाजी बड़ी टेंशन पैदा कर रही है। सिद्धू, सुनील जाखड़, माझा, सुखजिंदर रंधावा, तृप्त राजिंदर बाजवा और सुख सरकारिया अलग-अलग लाइन पर चल रहे हैं। जबकि पार्टी के सांसद की राह इन सबसे अलग है।
लुधियाना : पंजाब चुनाव (Punjab Chunav 2022) में कांग्रेस (Congress) को मिली करारी हार के बाद एक तरफ पार्टी हाईकमान नए प्रधान की तलाश में है तो दूसरी तरफ पूर्व पीसीसी चीफ नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) शक्ति-प्रदर्शन की तैयारी में हैं। एक बार फिर वे मंगलवार को लुधियाना पहुंच रहे हैं, जहां कांग्रेस के करीबी नेताओं के साथ वे लंच करेंगे तो उसी टेबल पर चर्चा भी। एक हफ्ते में सिद्धू की यह दूसरी मीटिंग है, जिसको लेकर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सिद्धू दोबारा से प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं। वे आलाकमान के सामने अपनी ताकत दिखाना चाह रहे हैं।
तीन दिन पहले भी गुरु की चर्चा
बता दें कि तीन दिन पहले भी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू ने सुल्तानपुर लोधी में बैठक की थी। इस बैठक में कांग्रेस विधायक सुखपाल खैहरा और बलविंदर धालीवाल के अलावा बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता शामिल हुए थे। इनमें से तो कई चुनाव में हार का सामने करने वाले नेता थे। कहा जा रहा है कि उस दिन जो लीडर इस बैठक में आए थे उसमें से कई ऐसे हैं जो पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इसी का फायदा उठाकर सिद्धू दोबारा से पीसीसी चीफ की कुर्सी पर बैठना चाहते हैं।
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ये राह नहीं आसान..
ज्यादा दिन नहीं हुए जब सिद्धू ने पार्टी हाईकमान को अपना इस्तीफा सौंपा था। भले ही सिद्धू पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के करीबी माने जाते हैं। लेकिन दोबारा से प्रदेश अध्यक्ष की राह उनके लिए आसान भी नहीं है। जानकार बताते हैं कि पार्टी में इस वक्त कोई भी बड़ा चेहरा ऐसा नहीं है जो उनके लिए बैटिंग कर सके। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पहले से ही चन्नी का पक्ष लेते रहे हैं तो सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की पहले से ही सिद्धू से दूरी है। सिद्धू की कार्यशैली और बयानबाजी भी उनके राह का सबसे बड़ा रोड़ा है। चुनाव के दौरान चन्नी से उनकी खींचतान भी जगजाहिर है।
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पीसीसी चीफ की रेस में ये नाम
बता दें कि दो साल बाद 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में कांग्रेस अपने किसी सांसद को पंजाब कांग्रेस की कमान सौंप सकती है। जो नाम इस पद के लिए रेस में हैं, उनमें सांसद रवनीत बिट्टू और चौधरी संतोख सिंह सबसे आगे हैं। गिद्दड़बाहा से विधायक अमरिंदर राजा वड़िंग और सुखजिंदर रंधावा का भी नाम चर्चा में है। कहा तो यह भी जा रहा है कि राहुल गांधी के करीबी होने का फायदा राजा वड़िंग मिल सकता है। जबकि विधायक प्रताप सिंह बाजवा भी लगातार दावेदारी ठोंक रहे हैं।
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