7 साल की मन्नतों के बाद जन्मा था पोता, रोते हुए दादी बोली- उनकी वजह से 24 घंटे भीं नहीं रहा जिंदा

कोटा के जेके लोन अस्पताल में 35 दिन के अंदर मरने वाले बच्चों की मौत का आंकड़ा आज 106 हो गया। ऐसा ही एक परिवार है कोटा का जिसके घर में 7 साल की मन्नतों के बाद बेटे का जन्म हुआ था। लेकिन वह  24 घंटे भी जिंदा नहीं रह सका।

कोटा (राजस्थान). कोटा जेके लोन हॉस्पिटल में रोज किसी ना किसी मां की कोख सूनी हो जाती है। 35 दिन के अंदर मरने वाले बच्चों की मौत का आंकड़ा आज 106 हो गया। ऐसा ही एक परिवार है कोटा का जिसके घर में 7 साल की मन्नतों के बाद बेटे का जन्म हुआ था। लेकिन वह  24 घंटे भी जिंदा नहीं रह सका।

परिवार ने हर मंदिर में जाकर टेका था माथा
दरअसल, यह दुखद घटना है कोटे के रहने वाले दीनदयाल योगी और तुलसी बाई के घर की। जिनकी बहु ने शादी के सात साल बाद जब एक बच्चे ने जन्म दिया तो घर में खुशी छा गईं और वह मिठाईयां बांटने लगे। क्योंकि उन्होंने इसके लिए हर मंदिर पर माथा टेका था। हर उस भगवान के दरबार में गुहार लगाई थी, जहां उनकी मनोकामना पूरी हो सकती थी। इसके लिए उन्होंने डॉक्टर से लेकर भोपा तक से झाड़फूंक करवाई थी। आखिर में शनिवार के दिन उनकी यह मुराद पूरी हो गई।

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सारी खुशियां एक झटके में खत्म हो गईं
नवजात की दादी तुलसी बाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा- अचानक मेरे पोते की तबीयत खराब हो गई। रात को डॉक्टरों ने बच्चे को मशीन पर रख दिया। जहां मैं पूरी रात जागकर ऑक्सीजन पंप को हाथ से दबाती रही। फिर सुबह हमको ऑक्सीजन सिलेंडर लाने को कहा। हमने कहा-हम कहां से सिलेंडर को लाएंगे। कुछ देर बाद डॉक्टर ने कहा इसको ले जाए ये अब खत्म हो गया है। मेरी परिवार की खुशियां एक झटके में इस अस्पताल में खत्म हो गईं। मैं चाहती हूं मेरी तरह और किसी की गोद सूनी ना हो। यहा की सारी मशीनें खराब पड़ी हैं।

अस्पताल नेताओं का लग रहा जमावडा
जब पूरे देश में बच्चों की मोत से हाहाकार मच गया। तब जाकर एक महीने बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को मासूमों की याद और शुकवार के दिन दौरा करने चल दिए। अस्पताल प्रबंधन की हद देखो बच्चों का इलाज करने की बजाए मंत्री के स्वागत में ग्रीन कारपेट बिछा दी। वहां आज शनिवार के दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला भी पीड़ित परिवारों से मिलने कोटा पहुंचे। दूसरी तरफ दोपहर में उपमुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट भी इलाज के दौरान अस्पताल में मरे बच्चों के घर पहुंचे तथा परिजनो से मिले।

सिसकियां सुनकर फटजाता है कलेजा
जिन बच्चों की मौत हो गई है उस मां का कोई हाल नहीं ले रहा है। वह या तो अस्पताल के कोने में बैठी रो रही है। या घर जाकर अपनी किस्मत को कोस रही होगी। साथ ही जो अस्पताल में अपने जिगर के टुकड़े के साथ भर्ती हैं उनकी सिसकियां सुनकर भी कलेजा फट जाता है।

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