
जयपुर. देश के एक जाने माने संत आचार्य धमेन्द्र ने आज सवेरे दुनिया को अलविदा कह दिया। नोर्थ इंडिया के सबसे बड़े अस्पताल, जयपुर के एसएमएस अस्पताल में पिछले कुछ दिनों से उनका इलाज जारी था। इलाज के दौरान आज सवेरे उन्होनें अंतिम सांस ली। जैसे ही परिवार को इसकी सूचना मिली परिवार शोक में डूब गया। कुछ देर बाद ही उनके शिष्यों और अन्य लोगों को जानकारी मिली तो वे लोग अस्पताल पहुंचे लगे। बताया जा रहा है कि आज दोपहर बाद परिवार के रिवाज के अनुसार आचार्य की अंतिम क्रिया की जाएगी। इसमें देश प्रदेश से हजारों लोगों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। अंतिम संस्कार मठ पर करने की तैयारी शुरु कर दी गई है।
कौन हैं आचार्य धमेन्द्र, जिनके जाने के बाद प्रधानमंत्री तक भावुक हो गए
दरअसल. राजस्थान के जयपुर में रहने वाले आचार्य धमेन्द्र का जयपुर के दिल्ली रोट पर कोठपूतली के नजदीक विराटनगर में मठ है। वे इसी मठ में रहकर साधना करते थे। श्रीपंचखंड पीठ में साधना करने वाले आचार्य धमेन्द्र महाराज विश्व हिंदु परिषद के मार्गदर्शक रहे और गायों की हत्या से जुड़े बड़े आंदोलनों की अनुवाई की।
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी तक उनका संपर्क रहा....
विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहने के कारण आचार्य धमेन्द्र का प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी तक उनका संपर्क रहा। राजस्थान समेत अन्य कई राज्यों के दिग्गज भाजपा नेता उनसे जुड़े रहे। उनके आंदोलनों और जनता के बीच पहुंच के चलते भाजपा के अलावा कांग्रेस के नेता भी उनके संपर्क में रहे। उन्होनें अपना पूरा जीवन हिंदुत्व और हिंदुस्तान की रक्षा के लिए लगा दिया। बड़े आंदोलनो को लेकर से सत्याग्रह करते रहे। जेल गए और कई महीनों तक जेलों में बिताए। उसके बाद विराटनगर की ओर उन्होनें मठ एवं आश्रम मनाया। उनके देव लोकगमन के बाद पूरे प्रदेश और देश में शोक की लहर है।
श्रीराम मंदिर आंदोलन में रही सक्रिय भूमिका
आचार्य धर्मेन्द्र ने श्रीराम मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय रहकर इस आंदोलन में अपना अहम योगदान दिया था। विहिप के मार्गदर्शक मण्डल में रहे स्वामी राम जन्मभूमि आंदोलन के बड़े चेहरों में से एक थे। वे राममंदिर मुद्दे पर बड़ी ही बेबाकी से अपनी बात रखते थे। जिस दिन बाबरी विध्वंस मामले का फैसला आने वाला था उन्होंने कहा था-सत्य से क्या डरना जो भी फैसला होगा मुझे मंजूर होगा। मैं ही आरोपी नंबर वन हूं। इसके बाद जब फैसला आया तो खुशी जाहिर करते हुए कहा था बोले-सत्य की जीत हुई है।
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