अग्निपथ पर बवाल: सीकर में योजना का विरोध कर रहे लोगों पर चली लाठियां, फिर शांति से विरोध करने की दी परमिशन

सरकार ने जब से आर्मी में अग्निपथ योजना को लागू करने की घोषणा की है, तब से देश के अलग अलग प्रदेशों में इसका विरोध हो रहा है। राजस्थान के अलग- अलग जिलों में इसका विरोध देखने को मिल रहा है। मामला सीकर जिले का है..
 

Sanjay Chaturvedi | Published : Jun 16, 2022 9:29 AM IST / Updated: Jun 16 2022, 04:27 PM IST

सीकर (sikar). सेना भर्ती के लिए केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध में राजस्थान के सीकर जिले में गुरुवार 16 जून 2022 को जमकर बवाल हो गया। यहां योजना के विरोध में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के कार्यकर्ता गुरुवार को कलेक्ट्रेट पर विरोध करने पहुंचे। जो डिफेंस एकेडमी के स्टूडेंट्स के साथ आक्रोश जताते हुए उग्र हो गए। डाक बंगले से रैली के रूप में पहुंचे कार्यकताओं ने हाथ में लाठी व डंडे लहराते हुए नारे लगाना शुरू किया। रास्ते में विज्ञापनों के बोर्ड में तोडफ़ोड़ करने के अलावा कुछ प्रदर्शनकारियों ने राहगिरों से भी झड़प कर ली। इस पर पुलिस को हल्का लाठी चार्ज करना पड़ा। जिसमें प्रदर्शनकारियों को हल्की चोट भी आई। घटना से कलेक्ट्रेट के पास बीच रास्ते में भगदड़ व अफरा तफरी का माहौल हो गया। जिससे रास्ता भी जाम हो गया।

पहले भांजी लाठी, फिर दिया न्योता
पुलिस द्वारा लाठियां चलाने पर प्र्रदर्शनकारी तितर बितर हो गए। बाद में पुलिस ऑफिसर कन्हैयालाल ने विरोध करने वालों को शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने की हिदायत देते हुए धरने पर बैठने की अनुमति दे दी। जिसके बाद कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पर धरना शुरू किया। करीब आधे घंटे से रालोपा नेता महेन्द्र डोरवाल की अगुआई में विरोध जारी है। जिसमें सभा को संबोधित करते हुए प्रदर्शनकारियों के लीडर ने केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को सेना भर्ती अभ्यर्थियों के हितों पर कुठाराघात बताते हुए आक्रोश जता रहे हैं। 

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जाम हुआ रास्ता, वाहनों की लगी कतारें

रालोपा के प्रदर्शन व भगदड़ के चलते कलेक्ट्रेट पर एकबार के लिए सड़क के दोनों तरफ यातायात ठहर गया। इससे रास्ता जाम हो गया। वाहनों की दूर तक लंबी कतारें लग गई। बाद में पुलिस ने जाम खुलवाया। धरने के चलते अब भी कलेक्ट्रेट के सामने एक तरफ का यातायात प्रभावित है।

सुरक्षा व भविष्य से खिलवाड़

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अग्निपथ योजना देश की सुरक्षा व सैनिकों के भविष्य के लिहाज से गलत है। उनका कहना है कि चार साल ही नौकरी रहने पर ना तो सैनिक को पूरा प्रशिक्षण मिलेगा ना ही उसका देश सेवा के प्रति समर्पण होगा। जिससे देश की सुरक्षा को खतरा पैदा होगा। वहीं, चार साल बाद फिर से बेरोजगारी की चिंता सताने लगेगी।
 

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