राजगढ़ में मंदिर तोड़ने के मामले ने तूल पकड़ा तो सियासत बढ़ गई। भारतीय जनता पार्टी ने आरोपी अधिकारियों से के खिलाफ तत्काल रुप से कार्रवाई की मांग की थी। अब राज्य सरकार ने इन अधिकारियों पर कड़ा एक्शन लिया है।
अलवर : राजस्थान (Rajasthan) के अलवर (Alwar) में 300 साल पुराने मंदिर पर बुलडोजर चलवाने के मामले में गहलोत सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। SDM समेत तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इन अधिकारियों में राजगढ़ एसडीएम केशव कुमार मीणा, राजगढ़ नगर पालिका बोर्ड के अध्यक्ष सतीश दुहरिया और नगर पंचायत के कार्यकारी अधिकारी बनवारी लाल मीणा शामिल हैं।
मंदिर तोड़ने से विवाद बढ़ा
17 अप्रैल को अलवर के राजगढ़ में मास्टर प्लान के तहत करीब 300 साल पुराने तीन मंदिर और एक गौशाला को तोड़ दिया गया। मंदिरों की मूर्तियां खंडित हो गई। इससे भाजपा के साथ आम जन भी सड़क पर उतर गए। लोगों में खासी नाराजगी है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए राजगढ़ विधायक जोहरी लाल मीणा, एसडीएम केशव कुमार मीणा और नगर पालिका के ईओ बनवारी लाल मीणा पर साजिश का आरोप लगाया था।
हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला
सोमवार को मंदिर को तोड़े जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के साथ जिला कलेक्टर, SDM, कार्यपालक अधिकारी, नगर पालिका और अन्य को पार्टी बनाया गया है। इस याचिका में कहा गया है कि यहां हुई कार्रवाई असंवैधानिक है। राज्य सरकार ने मास्टर प्लान के नाम पर प्राचीन शिव मंदिर सहित दुकानों और अन्य मंदिरों को जमींदोज कर दिया। याचिका में इस कार्रवाई को हिंदू समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाना और निर्दोष लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन बताया गया है।
भाजपा ने की थी एक्शन की मांग
बता दें कि इस मामले में भाजपा सांसद किरोड़ीलाल मीणा (Kirodi Lal Meena) ने एसडीएम समेत अन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग की थी। उन्होंने राज्य सरकार पर ढिलाई का आरोप लगाया था। मामला बढ़ने पर आरोप-प्रत्यारोप भी बढ़ गया था। राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीएस डोटासरा नने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि अलवर मंदिर पर अवैध अतिक्रमण को हटाने का काम बीजेपी के शासनकाल में ही शुरू हुआ था। यह पूरी तरह गलत है कि कांग्रेस मंदिरों और मूर्तियों को खंडितक करती है।
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