राजस्थान के इस किसान ने गायों के लिए जो किया, उसके लिए लोहे का कलेजा चाहिए, कई बीघा में खड़ी फसल कर दी दान

राजस्थान के बाड़मेर जिले में एक किसान जो किया वह देख लोगों के उसकी वाहवाही किए बिना नहीं रह सके। दरअसल लंपी वायरस के कारण गायों की दुर्दषा को देख किसानों ने कई बीघा में खड़ी फसल गायों के हवाले कर दी। इतना ही नहीं हजारों रुपए गौशाला के लिए दे दिए।

Sanjay Chaturvedi | Published : Sep 22, 2022 1:29 PM IST / Updated: Sep 22 2022, 07:18 PM IST

बाड़मेर. राजस्थान में शायद रही लंपी वायरस बीमारी के बीच राजस्थान के बाड़मेर में रहने वाले पूर्व सरपंच किसान ने जो मिसाल पेश की है उसे करने के लिए लोहे का कलेजा चाहिए।  सरकार अपने प्रयास लंपी वायरस को रोकने के लिए लगातार किए जा रही है ,लेकिन उसके बावजूद भी राजस्थान में अब तक करीब आठ लाख से ज्यादा गोवंश की मौत हो चुकी है। इन मौतों के बाद पक्ष और विपक्ष दोनों एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं लेकिन इस बीमारी को उचित समाधान नहीं हो पा रहा है। लगातार गायों की मौत से व्यथित होकर राजस्थान के बाड़मेर में समदड़ी क्षेत्र में रहने वाले किसान एवं पूर्व सरपंच माधव सिंह राजपुरोहित ने अपनी जमीन पर खड़ी फसल पशुओं के लिए दान दे दी। 

40 बीघा फसल दान दे दी
उन्होंने सिलोर गांव में स्थित नागदेव गौशाला की सैकड़ों गायों के लिए अपनी 40 बीघा फसल दान में दे दी। 40 बीघा में वर्तमान में बाजरे की फसल खड़ी थी। इस खड़ी फसल में नागदेव गौशाला की गायों को छोड़ दिया गया। ग्रामीणों का मानना है कि बाजरे में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है और क्षमता से गांव में फैल रही लंपी  बीमारी को काफी हद तक रोका जा सकता है।

11 हजार रुपए भी दिए
सिलोर गांव के पूर्व सरपंच एवं किसान माधव सिंह ने गौशाला में 11 हजार भी दान में दिए एवं गायों को बीमारी से निजात दिलाने के लिए दवाओं का भी इंतजाम किया  किसान माधव सिंह की इस पहल को जिले के हजारों किसान सराह रहे हैं। माधव सिंह से प्रेरित होते हुए कुछ अन्य किसानों ने भी अपनी फसल का बड़ा हिस्सा दान में देने की तैयारी की है।

उल्लेखनीय है कि इस बार राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों जैसे डूंगरपुर , बाड़मेर , बांसवाड़ा अन्य जगहों पर बारिश पिछले सालों की तुलना में काफी अधिक रही है। अधिक बारिश के कारण फसलें भी मनमाफिक हुई हैं। इसे देखते हुए किसान माधव सिंह ने अपनी करीब आधी फसल को गायों के लिए दे दिया। उनका कहना है कि गौ माता का कर्ज उतारना असंभव है। उन्होंने तो सिर्फ वह काम किया है जो प्रदेश के हर किसान को करना चाहिए।

यह भी पढ़े- झारखंड में लव जिहाद: नाम बदल की दोस्ती फिर बनाया शारीरिक संबंध, न्याय के लिए विधायक के पास पहुंची पीड़िता

Share this article
click me!