राजस्थान का लाल अफ्रीका में शहीद: सैकड़ों उग्रवादियों ने घेरकर मारा, खबर लगते ही गांव में मच गया कोहराम

Published : Jul 27, 2022, 07:42 PM ISTUpdated : Jul 27, 2022, 07:44 PM IST
 राजस्थान का लाल अफ्रीका में शहीद: सैकड़ों उग्रवादियों ने घेरकर मारा, खबर लगते ही गांव में मच गया कोहराम

सार

देश का एक सैनिक अफ्रीका में शहीद हो गया। यहां उग्रवादियों के हिंसक प्रदर्शन ने बीएसएफ की पूरी प्लाटून पर हमला कर दिया। जिसमें बाड़मेर का रहने वाला हेड कॉन्स्टेबल सांवलाराम विश्नोई भी शहीद गया। पूरे गांव में खबर लगते ही मातम पसर गया है।

बाड़मेर. वीरो की भूमि राजस्थान के लिए दुखद खबर है। देश का एक सैनिक अफ्रीका में शहीद हुआ है। यहां उग्रवादियों के हिंसक प्रदर्शन ने बीएसएफ की पूरी प्लाटून पर हमला कर दिया। जिसमें बाड़मेर का रहने वाला हेड कॉन्स्टेबल सांवलाराम विश्नोई भी शहीद गया। फिलहाल अभी तक सुरक्षा एजेंसियों ने यह नहीं बताया है कि जवान की पार्थिव देह कब तक उसके घर पहुंचेगी। जवान की शहादत की सूचना मिलने के बाद अब गांव में कोहराम मच गया है। लोग जवान के घर पर पहुंच रहे हैं। दरअसल, यूनाइटेड मिशन के तहत पहले भी अफ्रीका समेत कई देशों में भारतीय सेनाओं की कई बटालियन को भेजा जाता है। इसी दौरान यदि लड़ाई में किसी जवान की मौत हो जाती है तो भारत सरकार उसे ही शहीद का दर्जा देती है।

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भेजा गया था सैनिक
भारत सरकार की तरफ से बीएसएफ की एक टुकड़ी को संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भेजा गया था। ऐसे में सांवलाराम और उनके कई साथियों की ड्यूटी अफ्रीका के कांगो में लगाई गई थी। यहां के लोगों ने मू नेस्को खिलाफ एक बड़े प्रदर्शन का आह्वान किया था। प्रदर्शनकारियों की भीड़ उग्र हो गई। जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र की संपत्ति को लूट लिया और आग लगा दी। आज मंगलवार को प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए और उन्होंने बीएसएफ की एक प्लाटून पर हमला कर दिया। गौरतलब है कि स्थानीय लोग यूएन मिशन का पिछले काफी लंबे समय से विरोध कर रहे थे।

1999 में भर्ती हुए, मिशन पर जाने से 15 दिन पहले घर आए
शहीद सांवलाराम सन 1999 में सेना में हेड कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे। जिनकी 16 साल पहले शादी हुई थी। शहीद के दो बेटे हैं। यूएन मिशन पर जाने से पहले ही सांवलाराम 15 दिन के लिए घर पर आए थे। 2 महीने पहले वह मिशन के लिए कांगो चले गए थे। घटना के बाद अब परिवार के लोगों का रो रो कर बुरा हाल है। शहीद के भतीजे अशोक ने बताया कि फिलहाल अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि शहीद की पार्थिव देह घर पर कब पहुंचेगी।

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