राजस्थान का काला सच: बेटियों को देह व्यापार में धकेल रहे परिजन, स्टांप पेपर पर सौदा कर रहे दलाल

राजस्थान से एक चौकाने वाला मामला सामने आयाह है। जहां नाबालिग लड़कियों को या तो दलालों द्वारा या खुद के माता् पिता के द्वारा अवैध धंधें में धकेल दिया जाता है। हाल ही केंद्र सरकार से लैटर जारी होने के बाद मचा हड़कंप।

भीलवाड़ा (bhilwara). राजस्थान के भीलवाड़ा और समीपवर्ती जिलों से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को उनके परिजन ही देह व्यापार के धंधे में धकेल रहे हैं। इतना ही नहीं इन लड़कियों की खरीद के लिए स्टांप पेपर पर बकायदा सौदा भी होता था । मामला तब सामने आया जब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने केंद्र सरकार और डीजीपी को इस संबंध में रिपोर्ट सौंपने की बात कही है।

माता-पिता ही कर दे रहे सौदा
दरअसल राजस्थान के एक मीडिया हाउस ने खबर प्रकाशित की थी राजस्थान के कई जिलों में 5 से 12 साल की लड़कियों को उनके परिजन ही दलालों के पास छोड़ देते हैं। जिसके बाद इन लड़कियों को देह व्यापार में धकेल दिया जाता है। और फिर इनका इस तरह से ब्रेनवाश किया जाता है कि यह इन दलालों को ही अपने मां बाप बताती है।  पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब एक बार तीन लड़कियों ने इन दलालों के चंगुल से भागने की कोशिश की लेकिन दलालों ने इन्हें पकड़ लिया और उल्टा लटका कर मारा। लेकिन फिर एक लड़के ने हिम्मत करके अपने ग्राहक के फोन से ही बाल कल्याण समिति को इसकी सूचना दी। जिसके बाद इनकी काउंसलिंग भी करवाई गई।

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काउंसलिंग में बताई कई चौकाने वाली बात
काउंसलिंग होगी तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आई। काउंसलिंग में नाबालिग लड़कियों ने बताया कि उन्हें जवान दिखने के लिए कैप्सूल भी दिए जाते थे। इसके अलावा वह चुप रहे इसके लिए उन्हें नशे के इंजेक्शन टाइम टू टाइम दिया जाते थे। इनमें कुछ नाबालिग लड़कियां ऐसी होती थी। जिन्हें या तो उनके घर वाले भेज देते थे या फिर दलाल ही उनका किडनैप करवा देते।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मांगे जवाब
अब पूरे मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में राजस्थान सरकार और बीजेपी को 4 सप्ताह में जवाब देने की बात कही है। मानवाधिकार आयोग ने इसे मानव अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा है कि राजस्थान ही नहीं इन लड़कियों को दूसरे राज्य में भी दलाली के धंधे में धकेल दिया जाता था। अब 4 सप्ताह के भीतर डीजीपी और प्रदेश सरकार को इस बारे में मानवाधिकार आयोग को रिपोर्ट सौंपनी होगी। वही मानवाधिकार आयोग की एक टीम भी ऐसे जिलों का दौरा करेगी जहां ऐसे मामले सामने आए हैं।

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