5 साल पहले चोरी हुआ था गधा, झुंड में चरते दिखा तो मालिक ने पुकारा..वो दौड़ा-दौड़ा चला आया

गधा कहने को 'गधा' होता है! हकीकत में वो भी एक समझदार जानवर होता है। यह मामला ऐसे ही एक समझदार गधे से जुड़ा है, जिसे 5 साल पहले चोरी कर लिया गया था। एक दिन गधे का असली मालिक कहीं से निकल रहा था कि उसे झुंड में गधे चरते दिखे। उसे एक अपने गधे जैसा दिखा। उसने आवाज दी, तो गधा दौड़ा-दौड़ा उसके पास चला आया। मामला थाने के बाद मंदिर में पहुंचा। आखिरकार गधा अपने असली मालिक को मिल गया।

Asianet News Hindi | Published : Jul 7, 2020 8:45 AM IST


भीलवाड़ा, राजस्थान. आमतौर पर 'गधे' का आशय मूर्ख प्राणी से लगाया जाता है। किसी इंसान को गधा कहकर पुकारने का मतलब होता है कि वो मूर्ख है। उसे समझ नहीं है। लेकिन हकीकत में गधा समझदार प्राणी होता है। यह घटना तो यही साबित करती है। यह मामला ऐसे ही एक समझदार गधे से जुड़ा है, जिसे 5 साल पहले चोरी कर लिया गया था। एक दिन गधे का असली मालिक कहीं से निकल रहा था कि उसे झुंड में गधे चरते दिखे। उसे एक अपने गधे जैसा दिखा। उसने आवाज दी, तो गधा दौड़ा-दौड़ा उसके पास चला आया। मामला थाने के बाद मंदिर में पहुंचा। आखिरकार गधा अपने असली मालिक को मिल गया।


गधे को देखकर भर आईं मालिक की आंखें...
मामला भीलवाड़ा जिले के चांदखेड़ी गांव के रहने वाले रामदेव बागोरिया के गधे से जुड़ा है। मेहनत-मजदूरी करने वालों के लिए उनके जानवर बहुत प्रिय होते हैं। क्योंकि उनकी रोजी-रोटी इन्हीं जानवरों की मदद से चलती है। रामदेव का गधा 5 साल पहले गुम हो गया था। उन्होंने उसे खूब ढूंढ़ा, लेकिन वो नहीं मिला। आखिरकार उन्होंने हार मान ली। लेकिन 2 जुलाई को रामदेव किसी काम के सिलसिले में अपने गांव से दूसरे गांव कोटड़ी जा रहे थे। रास्ते में उन्हें मानसिंह के झोपड़ी के पास झुंड में कुछ गधे चरते दिखे। रामदेव को यूं लगा कि उनमें से एक उनका गधा है। रामदेव ने गधे को आवाज लगाई। रामदेव का गधा अपने मालिक की आवाज पहचानता था। वो तुरंत उनके पास आ गया। यह देखकर रामदेव की आंखें भर आईं। उन्होंने गधे को बिस्किट खिलाए। मालूम चला कि ये गधे वहां भेड़ चरा रहे एक ग्वाले के हैं। रामदेव ने ग्वाले से अपने गधे के बारे में बताया। लेकिन ग्वाले ने गधा देने से मना कर दिया। मामला 3 जुलाई को कोटड़ी थाने पहुंचा।


डॉक्टर से उम्र का पता करने के बाद मामला मंदिर में रखा गया..
कोटड़ी थाना अधिकारी सुरेश चौधरी ने बताया कि इस मामले में दोनों पक्षों को थाने बुलाया गया। दोनों से गधे की उम्र पूछी गई। असली मालिक ने उसकी उम्र 12 साल बताई, जबकि नये ने 7 साल। इसके बाद पशु चिकित्सक की मदद ली गई। डॉक्टर ने उसकी उम्र 10 वर्ष बताई। असली मालिक ने गधे के साथ अपने पुराने फोटो और अन्य साक्ष्य भी पुलिस को सौंपे। लेकिन वर्तमान मालिक चोरी स्वीकारने को तैयार नहीं हुआ। पुलिस ने एक दिन गधे को थाने में बांधकर रखा। अगले दिन तय किया गया कि गधे के कोटड़ी के प्रमुख चारभुजानाथ के मंदिर परिसर में बांधते हैं। जो असली मालिक है, वो उसे ईमानदारी से खोल ले जाए। इससे पहले दोनों से भगवान के सामने ईमानदारी की कसमें खिलवाई गईं। अंतत: असली मालिक गधे को खोलने पहुंच गया। नकली मालिक नहीं आया। गधे को लेने असली मालिक का पूरा परिवार पहुंचा।

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