फिरोज खान जयपुर के पास बागरू के रहने वाले हैं। इन्होंने शास्त्री यानी ग्रेजुएट, आचार्य (पोस्ट ग्रेजुएट), शिक्षा शास्त्री (बीएड) की डिग्री हासिल की है। बीएचयू में नियुक्ति के बाद फिरोज के विरोध को लेकर उनका परिवार थोड़ा परेशान है।
जयपुर। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) इस वक्त एक खास वजह से चर्चा में है। दरअसल, यहां संस्कृत डिपार्टमेन्ट में एक मुस्लिम टीचर की नियुक्ति हुई है, जिनका छात्र विरोध कर रहे हैं। इस मुस्लिम टीचर का नामा फिरोज खान है। छात्र कह रहे हैं कि कोई गैर हिंदू हमें कैसे संस्कृत और संस्कृति पढ़ा सकता है। फिरोज का विरोध करने वालों को उनके बैकग्राउंड और परिवार के बैकग्राउंड के बारे में जानकारी नहीं है।
शास्त्री शिक्षा से ग्रेजुएट हैं फिरोज खान
फिरोज खान जयपुर के पास बागरू के रहने वाले हैं। इन्होंने शास्त्री यानी ग्रेजुएट, आचार्य (पोस्ट ग्रेजुएट), शिक्षा शास्त्री (बीएड) की डिग्री हासिल की है। बीएचयू में नियुक्ति के बाद फिरोज के विरोध को लेकर उनका परिवार थोड़ा परेशान है। फिरोज के पिता रमजान खान ने मीडिया से बातचीत में तममा बातों और अपने परिवार के बैक ग्राउंड के बारे में बात की।
ऋषियों-संतों के सानिध्य में रही हैं फिरोज के परिवार की पीढ़ियां
फिरोज के पिता रमजान खाना ने बताया कि संस्कृत उनके परिवार का आनुवांशिक गुण है। पिता भी संस्कृत से प्रभावित थे। परिवार की पीढ़ियां ऋषियों संतों के सानिध्य में रही। कभी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रहा। इलाके में रमजान खान की काफी इज्जत है। लोग सम्मान से उन्हें मास्टर जी कहकर पुकारते हैं।
मंदिर में खेलने जाते थे इनके बच्चे
रमजान खान ने बताया, "मेरे दादा मंदिर में जाया करते थे। वो मुझे भी लेकर जाते थे। मैं फिरोज और अपने दूसरे बच्चों को लेकर जाता था। हमने कभी भेदभाव समझा ही नहीं। मेरे पिता ने मुझे संस्कृत विद्यालय में प्रवेश दिलवाया था। मैंने संस्कृत को आत्मसात किया। मैंने भी अपने बेटे (फिरोज) को संस्कृत पढ़वाया। मेरे सारे बच्चे संस्कृत विद्यालय में ही पढ़े हैं।"
BHU के संस्कृत डिपार्टमेन्ट में है फिरोज खान
रमजान खान ने बताया, बीएचयू में बेटे का जो विरोध हुआ वो मेरे लिए वज्रपात की तरह है। मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा था। लेकिन कोई बात नहीं है, लोग समझ जाएंगे। मुझे विरोध से ज्यादा खुशी उन गुरुओं से हैं जिनकी वजह से आज फिरोज बीएचयू के संस्कृत डिपार्टमेन्ट में पहुंचा है।
भजन गाने के बाद माथे पर लगाते हैं तिलक
रमजान के दिन की शुरुआत गोशाला में गायों की सेवा से होती हैं। वो मंदिर में भजन गाते हैं। माथे पर तिलक भी लगा लेते हैं। रमजान ने बताया, "फिरोज भी गौशला जाया करते थे। मैं आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल के कार्यक्रमों में शामिल रहा। मुझे पता ही नहीं था कि कोई ऐसे विरोध कर सकता है।"
अब अपमानित महसूस कर रहा था फिरोज
रमजान ने बताया कि विरोध के बाद फिरोज थोड़ा अपमानित महसूस कर रहा था। थोड़ा निराश भी था। मैंने कहा, एक संघर्ष है यह। फल तो जरूर मिलेगा तुझे बेटा। मैंने उससे कहा विचलित मत होना। विरोध करने वाले छात्रों को रमजान ने कहा, "भगवान उन्हें सद्बुद्धि दे ताकि वो उसे आत्मसात करें और उसे समझें।"