यह राजस्थान है, यहां बच्चों की तरह पालते हैं मवेशियों को, उनको बचाने लगा देते है जान की बाजी, जानिए पूरा मामला

राजस्थान में अब खुले बोरवेल में ऊंट के गिरने की खबर आई है। वहीं उसे निकालने के लिए 6 घंटे मशक्कत करते रहे गांव वाले। हजार किलो के ऊंट को जिंदा निकाल कर ही दम लिया। अब घटना के बचाव के वीडियो हो रहे वायरल। मामला प्रदेश के दौसा जिले का है।

दौसा. अब तक आपने बोरवेल में या हैंडपंप खोदने के बाद खुले छोड़े गए गड्ढों में इंसानों को गिरते सुना होगा अखबारों में पढ़ा होगा । उनको बचाने के लिए कई कई दिनों तक मशक्कत करने की बातें भी सुनी और पढ़ी होंगी। लेकिन आज राजस्थान के दौसा शहर में जो कुछ हुआ वह पहली बार ही हुआ। दरअसल दोसा में एक ऊंट बोरवेल में जा गिरा। उसे बचाने के लिए 20 से ज्यादा ग्रामीणों ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया।  पुलिस प्रशासन की मदद के बिना ही 4 से 5 घंटे की मशक्कत के बाद करीब 700 से 1000 किलो के ऊंट को बाहर निकाल लिया गया।

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5 घंटे की मशक्कत के बाद भी हार नहीं मानी
लगातार मशक्कत के चलते वह भी बेदम हो गया और उसे निकालने वाले लोग भी परेशान हो गए। लेकिन हार नहीं मानी। ग्रामीणों का कहना था कि यह राजस्थान है, यहां मवेशियों को बच्चों की तरह रखते हैं बच्चा गिर जाता तो भी इसी तरह निकालते मवेशी गिर गया तो भी इसी तरह निकाल रहे हैं। 

बंजारों की टोली से अलग हुआ ऊंट
दरअसल दोसा के बांदीकुई क्षेत्र मे अनंत वाडा गांव के पास से दो दिन पहले बंजारों की एक टोली निकली थी । इस टोली में करीब डेढ़ सौ से ज्यादा ऊंट थे। ग्रामीण क्षेत्र के बाहर हाईवे के नजदीक जंगलों से होती हुई यह टोली आगे के लिए रवाना हो गई थी। डेढ़ सौ ऊंटों के अलावा सैकड़ों भेड़  बकरियां और करीब 400 से ज्यादा बंजारा परिवार इस टोली में थे। बताया जा रहा है जो ऊंट बोरवेल में गिरा वह ऊंट इसी टोली का था । ग्रामीणों ने बताया कि गांव के बाहर खेतों के नजदीक बोरवेल खोदे गए थे । बोरवेल को वैसे तो मिट्टी और पत्थरों से भर दिया गया था लेकिन पिछले दिनों लगातार बारिश के चलते बोरवेल के आसपास की मिट्टी ढह गई । ग्रामीणों को इसका पता नहीं लगा। 

भटका ऊंट खुले बोरवेल में गिरा
उसके बाद जब वह यहां से गुजरे तो उनमें से एक ऊंट रास्ता भटक कर इस बोरवेल में गिर गया। बताया जा रहा है 2  दिन तक यह ऊंट बोरवेल में पडा रहा। आज सवेरे किसी ने इसे देखा और इसके बारे में ग्रामीणों को सूचना दी। सरपंच नरेश सिसोदिया को जब इसके बारे में पता चला तो उन्होंने 20 से ज्यादा ग्रामीणों की मदद से देसी जुगाड़ लगाकर इस ऊंट को लगभग अधमरी हालत में बाहर निकाला। सुबह करीब 9 बजे के आसपास ऊंट का रेस्क्यू शुरू किया गया जो दोपहर करीब 3:00 बजे तक चला। लेकिन ऊंट को बचा ही लिया गया। फिलहाल वह बेहद कमजोर है। उसका इलाज चल रहा है।

 उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले बांदीकुई में ही जस्साबड़ा गांव में एक बोरवेल में डेढ़ साल की बच्ची गिर गई थी । उसे भी करीब 6 घंटे की मशक्कत के बाद देसी जुगाड़ के जरिए ही बाहर निकाला गया था। बच्ची सुरक्षित बाहर निकल गई थी।

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