जब 95 साल के पिता की अर्थी को बेटी ने कंधा दिया तो रो पड़ा पूरा गांव, जलती जिता के सामने ने लिया अनोखा संकल्प

एक तरफ जहां बेटे अपने माता-पिता की सेवा नहीं करते, ना ही उनका सम्मान करते। वहीं राजस्थान के दौसा से एक इंसानियत की मिसाल पेश कर देने वाली खबर सामने आई है। जहां एक बेटी ने समाज की रूढ़िवादी परंपरा से आगे बढ़ते हुए पिता की अर्थी को कंधा दिया और श्मशाम में चिता को आग भी लगाई।

दोसा. राजस्थान के दौसा जिले के मेहंदीपुर बालाजी इलाके से बड़ी खबर सामने आई है । पिता की मौत के बाद इकलौती बेटी ने न सिर्फ पिता की अर्थी को कंधा दिया बल्कि श्मशान घाट में पिता का अंतिम संस्कार भी अपने हाथों से किया।  समाज के कुछ लोग इसके खिलाफ थे , लेकिन रूढ़िवादी परंपराओं की परवाह किए बिना बेटी ने पिता की अंतिम इच्छा को पूरा किया ।

एक साथ परिवार के 4 लोगों की हुई थी मौत
दरअसल, पिता रामसुख मीणा की 95 वर्ष की उम्र में मौत हो गई थी।  उनकी बेटी प्रेम देवी ने उनकी तमाम अंतिम क्रिया पूरी की।  खेड़ा पहाड़पुर गांव में रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि रामसुख मीणा के एक बेटा और एक बेटी है। साल 2001 से पहले परिवार में सब कुछ सुख पूर्वक चल रहा था, लेकिन साल 2001 में हुई एक आगजनी के दौरान परिवार के 4 लोगों की जलने से मौत हो गई थी।  इनमें रामसुख का बेटा, उसका एक पोता और दो पोतिया शामिल है ।

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इकलौती बेटी ने मौत से पहले पिता की हर इच्छा को किया पूरा
एक साथ चार मौतों के कारण रामसुख की पत्नी बीमार रहने लगी और उन्होंने भी कुछ समय बाद दम तोड़ दिया।  अब रामसुख की देखभाल करने के लिए उनकी इकलौती बेटी प्रेमवती देवी थी । बेटी ने पिता की तमाम अंतिम इच्छाओं को पूरा किया और उनकी अंतिम इच्छा यही थी कि उनकी चिता को आग बेटी लगाएं। पिता की मौत के बाद बेटी ने पिता की अंतिम इच्छा भी पूरी की ।

सिर्फ अर्थी को महिलाएं दे रही थीं कंधा....
ग्रामीणों का कहना था कि गांव ही नहीं पूरे इलाके में इस तरह का घटनाक्रम पहली बार देखने को सामने आया है जब महिलाएं ने सिर्फ अर्थी को कंधा दे रही है बल्कि श्मशान में पिता की चिता को आग भी लगा रही है।

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