राजस्थान से एक बेहद भावुक कहानी सामने आई है। जहां अलवर की रहने वाली अदिति सेना में लेफ्टिनेंट बन गई। लेकिन वह उदास है उसकी आंखों में सिर्फ आंसू हैं। क्योंकि दो दिन पहले ही उसके पिता की मौत हो गई। जिस दिन उनका अंतिम संस्कार था, तभी वो अकेले 750 किलोमीटर दूर इंटरव्यू देने गई थी।
जयपुर. राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ इलाके की रहने वाली अदिति हाल ही में सेना में लेफ्टिनेंट बनी है। अदिति का तैयारी करने से लेकर लेफ्टिनेंट बनने का बेहद मुश्किलों भरा रहा है। अदिति वही लड़की है जिसने अपने पिता के अंतिम संस्कार के दिन ही घर से करीब 750 किलोमीटर दूर जाकर एग्जाम दिया। एग्जाम में पास हुई। फिर जब उसे सेना के अधिकारियों ने बेज दिया तो वह अपने उसी रोल मॉडल को ढूंढ रही थी। जिसकी वजह से उसने यह मुकाम हासिल किया।
पिता की चिता की राख भी ठंडी नही हुई उससे पहले ही अकेले गई एग्जाम देने
दरअसल अदिति के पिता हरियाणा में लेक्चरर से। जिनकी 27 जून को एक सड़क हादसे में मौत हो गई। 2 दिन बाद ही अदिति का सीडीएस का एग्जाम होना था। पिता चंद्रशेखर की मौत के बाद भी अदिति सदमे में नहीं गई और अंतिम संस्कार होने के अगले दिन ही एग्जाम देने के लिए घर से करीब 750 किलोमीटर दूर इलाहाबाद एग्जाम देने के लिए गई। पिता की मौत के चलते पूरा परिवार सदमे में था। अदिति भी 2 दिन तक सोई नहीं थी। लेकिन जैसे तैसे खुद को संभाल कर अदिति एग्जाम में बैठ गई और इसके बाद इंटरव्यू भी दिया मेरा एंट्री में भी सिलेक्ट हो गई। फिर चेन्नई में जब पासिंग आउट परेड हुई तो यहां सेना के अधिकारियों ने अदिति के परिवार के सामने उसे सेना का बेज लगाया।
अदिति के दोनों भाई सेना में, अब वो भी बन गई अफसर
यहां अदिति को सेना में जाने की खुशी तो थी। लेकिन उसकी आंखें पिता चंद्रशेखर को ही ढूंढ रही थी। जिनकी बदौलत अदिति इस मुकाम तक पहुंची। अदिति के 2 बड़े भाई भी सेना में है। जिनमें बड़ा भाई भारत यादव सेना में मेजर है और छोटा भाई विशाल सेना में कैप्टन।
पित की मौत के दो दिन बाद बेटी ने पूरा किया उनका सपना
अदिति ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उसे बचपन से ही सेना में जाने का शौक था। दो बड़े भाई भी सेना में थे। ऐसे में परिवार के लोगों ने उसे काफी सपोर्ट किया। पिता चंद्रशेखर खुद उसे सुबह 4:00 बजे उठकर सेना में जाने के लिए तैयारी करवाते थे और एक ही बात कहते थे कि कभी भी कुछ भी हो लेकिन पीछे मत हटना। अदिति ने भी अपने पिता की बात मानी और आज वह सेना में लेफ्टिनेंट बन चुकी है। अब पूरे गांव में खुशी का माहौल है।