कोरोना संक्रमण के चलते लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान ऐसी कई कहानियां सामने आई हैं, जिन्हें सुनकर कठोर दिलवाले भी भावुक हो उठे। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आए, जिनमें लोगों को आवागमन नहीं मिलने पर पैदल ही घरों की ओर जाते देखा गया। यह पिता-बेटा भी उन्हीं में से एक है, लेकिन यहां बात बेटे की जिंदगी की थी।
Asianet News Hindi | Published : Apr 13, 2020 9:31 AM IST
कोटा, राजस्थान. कोरोना संक्रमण के चलते लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान ऐसी कई कहानियां सामने आई हैं, जिन्हें सुनकर कठोर दिलवाले भी भावुक हो उठे। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आए, जिनमें लोगों को आवागमन नहीं मिलने पर पैदल ही घरों की ओर जाते देखा गया। यह पिता-बेटा भी उन्हीं में से एक है, लेकिन यहां बात बेटे की जिंदगी की थी। बेटे को मिर्गी का दौरा पड़ता है। पिता और बेटा काम के सिलसिले में 355 किमी दूर झालावाड़ जिले के हरिगढ़ गए थे। तभी मालूम चला कि लॉकडाउन हो गया है। यह सुनकर पिता घबरा गया। बेटे की दवाइयों का पर्चा घर पर रखा था। यह याद आते ही दोनों पैदल ही घर के लिए निकल पड़े। इससे पहले पिता ने प्यार से बेटे के सिर पर हाथ फेरा। दोनों के आंसू निकल आए।
बेट की फिक्र होते ही सबकुछ भूला पितायह हैं कोटा जिले के रामगंजमंडी के रहने वाले रामप्रसाद सेन और उनका बेटा धीरज। दोनों काम के सिलसिले में झालावाड़ जिले के हरिगढ़ गए थे। वहां से रामप्रसाद अपनी ससुराल चले गए। यहां वे लहसुन के खेतों में काम करने लगे। इसी दौरान उनके बेटे की दवा खत्म हो गई। पिता-पुत्र वापस घर लौटने की सोच ही रहे थे कि 23 मार्च को लॉक डाउन हो गया। बेटे की तबीयत न बिगड़ जाए, लिहाजा पिता-बेटे ने एक बाइक वाले से लिफ्ट ली। बाइक वाले ने उन्हें झालावाड़ छोड़ दिया।
जब कोई साधन नहीं मिला, तो पैदल चल पड़े...झालावाड़ में पिता-बेटा वाहन का इंतजार करने लगे। लेकिन जब कुछ नजर नहीं आया, तो दोनों पैदल ही घर के लिए निकल पड़े। इसी बीच मोबाइल डिस्चार्ज होने से उनका परिजनों से संपर्क टूट गया। परिजन घबरा गए और उन्होंने पुलिस से मदद मांगी। पुलिस ने पिता-बेटे का फोटो संबंधित थानों को भेजा। इसी बीच रात करीब 9 बजे पिता-बेटे अपने घर पहुंच गए। वहां पहुंचकर दोनों खूब रोये। एसडीएम चिमनलाल मीणा ने बताया कि दोनों को सकुशल घर पहुंचा देखकर उन्हें भी राहत मिली।