
जयपुर, राजस्थान. आमजनों में लोकप्रिय रहे राजस्थान के पूर्व वित्त मंत्री मानिक चंद सुराना का बुधवार को निधन हो गया। उन्होंने जयपुर स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। अंतिम संस्कार गुरुवार को बीकानेर में होगा। 79 वर्षीय सुराना लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें कोरोना भी हो गया था। हालांकि इससे वे ठीक हो चुके थे।
ऐसे थे सुराना
31 मार्च, 1931 को जन्मे सुराना छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। वे डूंगर कॉलेज के अध्यक्ष रहे। सुराना 1977 से 1980 तक राजस्थान में भैरोंसिंह शेखावत के मुख्यमंत्री काल में वित्त मंत्री रहे। इसके अलावा उन्हें वित्त आयोग का अध्यक्ष भी बनाया गया था। सुराना 1977 में पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर लूणकरनसर से विधायक बने थे। 1985 में दुबारा विधायक बने। सुराना ने जनता दल प्रगतिशील पार्टी का गठन किया था। हालांकि बाद में इसका भाजपा में विलय कर दिया गया। सुराना ने अपनी पार्टी के भाजपा में विलय से पहले वर्ष 2000 में तत्कालीन विधायक भीमसेन चौधरी के निधन के बाद उपचुनाव में उनके बेटे वीरेंद्र बेनीवाल को हराया था। 2013 में टिकट नहीं मिलने से नाराज सुराना ने पार्टी छोड़ दी थी। वे निर्दलीय चुनाव जीते थे। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उन्हें वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया था। सुराना कांग्रेस के हमेशा खिलाफ रहे।
सुराना का जनाधार बेहद मजबूत था। वे जातिगत राजनीति से परे थे। वे वैश्य थे, लेकिन लूणकरनसर में उन्हें वैश्य के बहुत कम वोट मिले। जाट समुदाय ने उन्हें जिताया था। वे आमजनों के सुख-दु:ख में बराबर शामिल होते थे। वे हर आदमी को व्यक्तिगत तौर पर जानते थे।
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