राजस्थान में पारा 45 डिग्री पार: देखिए कैसे बहने लगे रेत के झरने, इस नज़ारे को देखने पहुंच रहे लोग

भले ही लगे रेत में क्या सुंदरता है पर इन झरनों को देख आपका  मन खुश हो उठेगा

बाड़मेर. राजस्थान अपने भव्य महलों राजशाही ठाठ बाठ और वेश-भूषा के साथ अपने लज़ीज व्यंजनों के लिए जाना ही जाता है। इसके अलावा वहां और भी ऐसी कई आकर्षक देखने लायक जगह है जो सैलानियों के साथ साथ विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है। इसी कड़ी में नाम आता है बाड़मेर जिले के धौरा में रेत के झरनों का नाम आता है। कई सैलानी गर्मी के दिनों में इन्ही झरनों को देखने को आते है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ती है वैसे ही ये झरने बहने लगते है। ये देखने में इतने आकर्षक लगते हैं कि इस भीषण गर्मी पड़ने के बावजूद हजारों की संख्या में लोग इन्हे देखने को आते हैं। ये झरने आकर्षक तो लगते हैं पर ये वहां के आम नागरिकों के लिए सामान्य जीवन में मुश्किल भी खड़ी कर देते हैं।
झरने बहने का कारण 
गर्मी के दिनों में राजस्थान में हवा करीब 30 से 40 किमी की रफ्तार से चलती है। जिससे हवा के साथ धोरों के ऊपर से मिट्टी और रेत खिसकने लगती है। हवा तेज होने के कारण रेत व मिट्टी के हल्के कण उड़ने लगते है और झरने का रूप ले लेते है। जब भीषण गर्मी में इन झरनों को दूर से देखने पर लगता है जैसे पानी बह रहा हो।
एक्सपर्ट की माने तो रेत के टीले का नीचे का हिस्सा कठोर होता है और उपरी सतह कमजोर होती है जो हवा के साथ नीचे खिसकती है और झरने का आभास कराती है।

कब बनते है ये झरने
वैसे तो ये झरने मई-जून में बनते है जब राजस्थान में भीषण गर्मी पड़ने लगती है। लेकिन इस बार ये झरने अप्रेल महीने में ही बनने लगे है क्योंकि बाड़मेर में पारा 45 डिग्री के पार जा चुका है और तेज हवा चलने से इन झरनों का बनना शुरु हो चुका है।
 

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