'मौत' का कुंड: 38 लोगों की हो चुकी है मौत, सुंदरता देख अंदर जाते और लाश बनकर निकलते हैं बाहर!


बारिश के दिनों में नदियों और झरनों के नीचे  जाना खतरे से कम नहीं है। राजस्थान के सवाई माधोपुर का एक ऐसा खतरनाक कुंड है जिसमें 10  साल के अंदर अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन फिर भी लोग लापरवाही बरते ने बाज नहीं आते हैं। 
 

सवाई माधोपुर. राजस्थान में कई नदियां और कुंड ऐसे भी है जो अपने आप की कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं बयां करते हैं। किसी के साथ महाभारत का इतिहास तो किसी के साथ मूर्ति प्रकट होने का इतिहास जुड़ा है। लेकिन राजस्थान में एक कुंड ऐसा भी है। जो मानसून के दौरान लोगों की जान लेने के लिए जाना जाता है। यह कुंड हर साल मानसून में 5 से 6 लोगों की जान लेता है। मौतों में केवल कुंड ही नही बल्कि प्रशासन का भी दोष है। 

100 फीट की ऊंचाई से बहता है झरना 
दरअसल, हम बात कर रहे हैं टाइगर सिटी के नाम से मशहूर सवाई माधोपुर के रणथंभौर क्षेत्र की। यहां के टाइगर रिजर्व के बीच अमरेश्वर महादेव का मंदिर है। मंदिर के पास ही एक कुंड भी है। जिस के नजदीक पहाड़ से मानसून के दौरान करीब 100 फीट की ऊंचाई से झरना भी बहता है। अब मानसून के दौरान ऐसे नजारे को देखने भला कौन नहीं आएगा। इसी कुंड में डूबने से पिछले 10 सालों में 38 लोगों की मौत हो गई। हाल ही में भी यहां जयपुर के दो युवकों की मौत हो गई। 

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इतनी मौतें होने के बाद भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं 
बता दें कि यहां इतनी मौतें होने के बावजूद भी सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। प्रशासन ने यहां चेतावनी बोर्ड लगाया है। लेकिन कोई भी सुरक्षा इंतजाम नहीं किए हैं। अब प्रदेश में मानसून वापस एक्टिव होगा तो लोग यहां वापस आएंगे तो यह मौतों का आंकड़ा बढ़ेगा ही। दरअसल जब भी बात इस कुंड पर सुरक्षा लगाने की आती है। तो वन विभाग और पुलिस दोनों एक - दूसरे पर बात टालते रहते हैं। पुलिस कहती है कि यह जिम्मेदारी वन विभाग की है। वही वन विभाग इसकी सुरक्षा पुलिस जिम्मेदारी बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। अब हालात यह है कि केवल होमगार्ड जो टाइगर रिजर्व में जंगल मैं ड्यूटी करता है वही इसी कुंड की भी सुरक्षा व्यवस्था संभालता है।

जानिए स्थानीय लोगों का क्या कहना...
वहीं इस मामले में स्थानीय लोगों का कहना है कि कुंड में लोगों के नहाने पर हो रोक लगा देनी चाहिए। क्योंकि जब भी कोई हादसा होता है। तो यहां के पहाड़ी रास्तों के चलते मदद भी आसानी से नहीं मिल पाती है। वहीं कुछ लोगो का कहना है कि कुंड को जाल से कवर कर देना चाहिए जिससे कि ऐसे हादसे नही हो।

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