राजस्थान का अनोखा मामलाः 'मैं मां बनना चाहती हूं, पति को कुछ दिन घर जाने दें', जज ने दिया 15 दिन का पैरोल

राजस्थान में पैरोल का अनोखा मामला सामने आया है। उम्रकैद में बंद पति से बच्चे की चाह में उसकी पत्नी कलेक्टर के पास पहुंची और कहा कि बच्चे के लिए कुछ दिन की पैरोल पर पति को छोड़ दें, लेकिन कलेक्टर ने इस पर गंभीरता से एक्शन नहीं लिया। बाद में पत्नी हाईकोर्ट तक जा पहुंची। अब पति को 15 दिन की पैरोल पर छोड़ा गया है।

Amitabh Budholiya | Published : Apr 8, 2022 3:34 AM IST / Updated: Apr 08 2022, 09:05 AM IST

जयपुर. एक महिला ने मां बनने की चाहत का हवाला देकर जेल में बंद अपने पति की पैरोल करा ली। हाईकोर्ट को उसकी दलील उचित लगी और पैरोल दे दी। उम्रकैद में बंद पति से बच्चे की चाह में उसकी पत्नी कलेक्टर के पास पहुंची थी और कहा कि बच्चे के लिए कुछ दिन की पैरोल पर पति को छोड़ दें, लेकिन कलेक्टर ने इस पर गंभीरता से एक्शन नहीं लिया। बाद में पत्नी हाईकोर्ट तक जा पहुंची। अब पति को 15 दिन की पैरोल पर छोड़ा गया है। आरोपी करीब 11 महीने पहले ही 20 दिन की पैरोल से लौटा था। 

यह भी पढ़ें-बच्चियों पर नियंत्रण के लिए हिजाब का प्रयोग जरूरी: सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क

Latest Videos

पत्नी का पक्ष सुनकर जज ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
दरअसल, भीलवाड़ा जिले के रबारियों की ढाणी का रहने वाला नंदलाल 6 फरवरी 2019 से अजमेर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। सजा मिलने से कुछ समय पहले ही उसकी शादी हुई थी। लेकिन अपराध के मामले के चलते उसे जेल हो गई। उसके बाद पहली बार उसे पिछले साल मई में 20 दिन की पैरोल दी गई। इस बीच कोरोना और अन्य कारणों के चलते करीब दो साल तक पत्नी और परिवार से नंदलाल की मुलाकात संभव नहीं हो सकी। 

यह भी पढ़ें-मध्य प्रदेश के सीधी थाने में पत्रकारों के कपड़े उतरवाने पर थानाध्यक्ष ने कहा-आत्महत्या न करें इसलिए उतरवाया

कलेक्टर और जेल अफसरों के पास अर्जी लेकर पहुंची पत्नी
इस बीच नंदलाल की पत्नी कुछ दिन पहले जेल अफसरों के पास वकील के साथ पहुंची और कहा- वह मां बनना चाहती है, अगर पति को कुछ दिन की पैरोल पर छोड़ दें तो उसका यह अधिकार पूरा हो सकता है। जेल अफसरों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जब जेल अफसरों की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो वो कलेक्टर के पास पहुंची और अपना प्रार्थना पत्र दिया। कलेक्टर ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया और पेंडिग कर दिया। जब पत्नी का सब्र जवाब दे गया तो वह सीधे हाईकोर्ट जा पहुंची और जज के सामने अपना पक्ष रखा। पत्नी ने कहा-पति से अपराध हुआ है, लेकिन उनकी मंशा नहीं थी। जेल और पुलिस के तमाम नियमों का वे सख्ती से पालन कर रहे हैं। प्रोफेशनल अपराधी वे नहीं हैं। 

यह भी पढ़ें-सुहागरात पर दुल्हन ने दूल्हे को बताया अपना सच, शादी से पहले मेरा रेप हुआ, पढ़िए मध्य प्रदेश का शॉकिंग केस

जज ने कहा कि पैरोल में इस तरह की कंडीशन के लिए स्पष्ट प्रावधान नहीं, लेकिन... 
हाईकोर्ट में जज संदीप मेहता व फरजंद अली की खंडपीठ ने इस मामले को सुना और कहा- पैरोल में संतान उत्पत्ति के लिए वैसे तो कोई साफ नियम नहीं हैं। लेकिन वंश के संरक्षण के उद्देश्य से संतान होने को धार्मिक दर्शन भारतीय संस्कृति और विभिन्न न्यायिक घोषणाओं के माध्यम से मान्यता दी। जजों ने ऋग्वेद व वैदिक भजनों का उदाहरण दिया और संतान उत्पत्ति को मौलिक अधिकार भी बताया। कोर्ट ने पक्ष सुनने के बाद कहा- दंपती को अपनी शादी के बाद से आज तक कोई समस्या नहीं है। हिंदु दर्शन के अनुसार गर्भधारण करना 16 संस्कारों में सबसे ऊपर है, इस कारण अनुमति दी जा सकती है।

Share this article
click me!

Latest Videos

कौन है संजय शिदें? बदलापुर कांड के आरोपी को दी मौत, दाऊद के भाई को किया था अरेस्ट । Badlapur
कौन थी महालक्ष्मीः हेमंत से शादी-अशरफ से दोस्ती, नतीजा- बॉडी के 40 टुकड़े । Bengaluru Mahalakshmi
दारोगा की घूस में निपट गए दीवानजी, घसीटते ले गई टीम #Shorts
Navratri 2024 : ये हैं मां दुर्गा के 108 नाम, नवरात्रि में 9 दिन करें इनका जाप
CM Atishi के पहले ही आदेश पर एलजी ने दिया झटका, आखिर क्यों लौटा दी फाइल