कांग्रेस अपने कई विधायकों को उदयपुर लेकर पहुंची है। राज्यसभा चुनाव में उसे हॉर्स ट्रेडिंग का डर है। लेकिन अब तक कई विधायक नहीं पहुंचे हैं। कई नाराज बताए जा रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने उन्हें मनाने की खुद कमान संभाली है।
जयपुर : राजस्थान (Rajasthan) में राज्यसभा की तीसरी सीट पर मुकाबला रोचक होता जा रहा है। जीत का मैजिकल नंबर पाने अब खुद सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने अपना मैजिक दिखाना शुरू कर दिया है। शनिवार को उन्होंने नाराज छह विधायकों से मुलाकात की और एक झटके में ही उनकी नाराजगी खत्म कर दी। देर रात हुई इस मुलाकात के बाद मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, वाजिब अली, संदीप यादव, लाखन मीणा, गिरिराज मलिंगा और खिलाड़ी बैरवा काफी खुश नजर आए। उन्होंने मुख्यमंत्री से हुई चर्चा की जानकारी दी और कहा कि सब कुछ ऑल इज वेल है। हमारी नाराजगी दूर हो गई है। अब हम सब रविवार को उदयपुर (Udaipur) के लिए रवाना होंगे।
मान गए नाराज विधायक
जानकारी के मुताबिक शनिवार देर रात करीब एक बजे तक मुख्यमंत्री निवास पर चर्चा का दौर चला। सीएम गहलोत करीब तीन घंटे तक नाराज विधायकों से चर्चा करते रहे। इसके बाद राज्यसभा चुनाव से पहले उन्हें मांग पूरी करने का आश्वासन दिया। इसके बाद नाराज विधायक मान गए और वे उदयपुर जाने को तैयार हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंजीनियर की पिटाई के मामले में जमानत पर चलरहे गिर्राज मलिंगा को जांच में बरी करने पर बात हुई। सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को अतिरिक्त विभाग का कार्यभार दिए जाने पर सहमति बनी। इसके साथ ही सहमति बनी कि डांग विकास क्षेत्र के चेयरमैन लाखन मीणा को बजट का आवंटन किया जाएगा। विधायक संदीप यादव और वाजिब अली को संसदीय सचिव बनाया जाएगा।
एक सीट पर मैजिकल नंबर का गेम
प्रदेश में राज्यसभा की चार सीटों पर चुनाव हैं। दो सीट कांग्रेस और एक पर भाजपा की जीत पक्की है। चौथी सीट जिस पर मैजिकल नंबर की जरुरत है। इस सीट पर भाजपा समर्थित उम्मीदवार डॉ. सुभाष हैं तो कांग्रेस की तरफ से प्रमोद तिवारी। इसी सीट को लेकर कांग्रेस को डर है कि कहीं बीजेपी कोई गेम न कर जाए। ऐसे में विधायकों को उदयपुर में शिप्ट किया गया है। इस सीट के लिए डॉ. सुभाष चंद्रा के पास बीजेपी के 31 विधायकों का समर्थन है। जबकि कांग्रेस को तीसरी सीट जीतने के लिए 41 वोट चाहिए लेकिन उसके पास सिर्फ 26 वोट ही हैं। भाजपा के पास एक सीट पाने के बाद 30 वोट बचेंगे तो उसे सिर्फ 11 वोट ही चाहिए। अब ऐसे में छोटे दलों और निर्दलियों का रोल बढ़ जाता है। इसलिए कांग्रेस अपने विधायकों को मनाने में जुटी है।
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