राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के समाप्त होने के बाद अब यहां की जनता भारतीय जनता पार्टी का नाम लेने वाली है। प्रदेश के 33 जिलों में बीजेपी की जन आक्रोश सभा शुरू होने जा रही है। इससे पहले जनता की समस्या जानने के लिए BJP द्वारा जनआक्रोश रथ निकाले गए थे।
जयपुर (jaipur).राजस्थान में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के समाप्त होने के बाद भारतीय जनता पार्टी की पारी शुरू हो चुकी है। चौंकिए मत यह हकीकत है क्योंकि बीते 16 दिनों से राजस्थान में जहां राहुल गांधी का ही नाम चर्चा में रहा था अब राजस्थान की जनता भाजपा के नेताओं के नाम लेगी। दरअसल राजस्थान के 33 जिलों में कल से भाजपा की जन आक्रोश सभा शुरू होने जा रही है। यह विधानसभा वार होगी। जिन्हें पार्टी के सीनियर नेता संबोधित करने वाले हैं। (rajasthan update news).
जनता की समस्या जानने के लिए निकाली गई थी जनआक्रोश रथ यात्रा
आपको बता दें कि कांग्रेस सरकार के 4 साल का कार्यकाल पूरा होने पर विरोध करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने 2 दिसंबर से जनाक्रोश कार्यक्रम शुरू किया था। जिसके तहत राजस्थान में सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के जनाक्रोश रथ निकाले गए। बीजेपी के नेताओं के मुताबिक इन रथों का जुड़ाव राजस्थान के करीब दो करोड़ लोगों से हुआ था। भाजपा के इन रथों ने कांग्रेस के कुशासन के खिलाफ जमकर प्रचार किया। साथ ही इन जनाक्रोश यात्राओं के जरिए भाजपा ने कई छोटी सभाएं भी की। जिनसे हजारों एक्टिव कार्यकर्ता एक बार फिर वापस एक्टिव हुए हैं। या फिर यूं कहें कि इस जनाक्रोश कार्यक्रम ने उनमें वापस जान डाल दी है।
भाजपा के सीनियर नेता सभा को करेंगे संबोधित
22 तारीख से शुरू होने जा रही इन सभाओं में कांग्रेस के खिलाफ उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, पूर्व मंत्री कालीचरण सर्राफ, सांसद दिया कुमारी, गुलाबचंद कटारिया समेत भाजपा के कई दिग्गज नेता शिरकत करेंगे। ज्यादातर नेताओं को उनके एरिया के अलावा अन्य एरिया में सभा की जिम्मेदारी दी गई है। वही इन सभाओं में भीड़ जुटाने को लेकर कार्यकर्ता लगातार ग्राउंड पर काम करने में लगे हुए हैं।
कांग्रेस का भी कई जिलों में होगा दौरा, रोचक होगा मुकाबला
वही राजस्थान में 22 दिसंबर को एक तरफ जहां कांग्रेस सरकार के 4 साल पूरे होने पर कई जिलों में प्रभारी मंत्रियों का दौरा रहेगा उसी बीच भाजपा की यह जनाक्रोश सभाएं भी रहेगी। ऐसे में देखना होगा कि कौन सी पार्टी कहां ज्यादा भीड़ जुटा पाती है। हालांकि प्रभारी मंत्रियों का कार्यक्रम सरकारी रहेगा। लेकिन पार्टी को जिला स्तर पर खुद को साबित करने के लिए कार्यकर्ताओं की भीड़ लाना तो जरूरी होगा ही।