सीएम अशोक गहलोत के बाद अब उनके बेटे को लगा तगड़ा झटका.. हाथ से फिसल गई इस पद की कुर्सी, बढ़ रही टेंशन

राजस्थान क्रिकेट एसोसियशन (आरसीए) का चुनाव 30 सितंबर के दिन होने वाले थे लेकिन इसके इलेक्शन में धांधली होने के चलते मामला कोर्ट में चला गया था, जिसके कारण चुनावी प्रक्रिया रोक दी गई थी। वहीं सीएम अशोक गहलोत के बेटे का आरसीए अध्यक्ष के रूप में 3 अक्टूबंर को आखिरी दिन है।

Sanjay Chaturvedi | Published : Oct 3, 2022 6:03 AM IST

जयपुर. कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, इसका चुनाव किया जा रहा है। सीएम गहलोत के हाथ से अध्यक्ष पद की कुर्सी फिसल चुकी है। इस बीच अब उनके बेटे को लेकर भी खबर आ रही है, अब उनके बेटे वैभव गहलोत के हाथ से भी अध्यक्ष की कुर्सी फिलस गई है और अब वे भी बिना कुर्सी के हो गए हैं। सीएम के बेटे वैभव गहलोत राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष बनना तय था, लेकिन रातों रात समीकरण बन गए और अब वे खाली हाथ हो गए। दरअसल हाईकोर्ट ने अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव पर रोक लगा दी। इस मामले मंे अब 11 अक्टूबर को सुनवाई होगी। 

सोमवार शाम तक के लिए अध्यक्ष हैं वैभव गहलोत, फिर काम खत्म
दरअसल वैभव गहलोत राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। उनका कार्यकाल आज तीन अक्टूबर को पूरा हो रहा है। ऐसे में तीस सितंबर को चुनाव होने थे और यह तय माना जा रहा था कि वे ही फिर से अध्यक्ष चुन लिए जाएंगे। उनके सामने कोई बडा नाम नहीं था। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। तीस सितबंर को चुनाव से एक दिन पहले कोर्ट ने अचानक पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी।

दोबारा अध्यक्ष बनने पर संशय 
चुनाव के मामले पर सुनवाई का समय 11 अक्टूबर तक कर दिया गया। अब ऐसा पहली बार होगा कि अध्यक्ष पद की कुर्सी खाली रह जाएगी। अब उनका दुबारा अध्यक्ष बनने पर भी संशय नजर आ रहा है। दरअसल राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव राजेंद्र सिंह नान्दू ने चुनावों से पहले दावा किया था कि आरसीए के चुनावों में धांधली हो रही है, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था। उसके बाद मामला कोर्ट तक पहुंच गया था। अब एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि अगर कोर्ट चुनाव कराने का फैसला नहीं लेता है तो वैभव अध्यक्ष नहीं रहेंगे और ऐसे में  राजस्थान की क्रिकेट का संचालन बीसीसीआई के हाथों में चला जाएगा।

बताया जा रहा है कि चुनाव में जिस व्यक्ति को चुनाव अधिकारी बनाया गया था, वह गहलोते खेमे के अधिकारी बताए जा रहे थे। दूसरा गुट इसका लगातार विरोध कर रहा था। इसके  साथ ही चुनाव में धांधली का आरोप लगातार लग रहा था।

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