कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष पद मामलाः दिल्ली दरबार तक पहुंची शिकायत तो बैकफुट पर आए अशोक गहलोत

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए जारी हुई प्रक्रिया में सोमवार के दिन दिखे कई उतार चढ़ाव। शाम को यूडीएच मिनिस्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा हमने जो किया उसका गहलोत से कोई नाता नहीं। हम सोनिया गांधी के सच्चे सिपाही।

जयपुर. यूडीएच मिनिस्टर शांति धारीवाल... अशोक गहलोत के बेहद करीबी और जयपुर से दिल्ली तक मच रहे बवाल के मुख्य सूत्रधार.....।  कल उनके सरकारी आवास पर विधायकों की आपातकालीन बैठक बुलाई गई और उसके बाद जो बवाल मचा उसकी रिपोर्ट आज शाम को कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी को दी गई है। इस रिपोर्ट को सौंपने के बाद खबरें आई कि अशोक गहलोत का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस से हटाया जा रहा है और उनकी जगह चार अन्य नाम शामिल कर लिए गए हैं। यह खबरें जैसे ही मीडिया में फैली उसके बाद यूडीएच मिनिस्टर ने अपने सरकारी आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी और मीडिया के सामने कहा कि कल जो भी कुछ हुआ उसका मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कोई संबंध नहीं है। उनको तो इस बारे में पता भी नहीं था कि हम विधायक लोग ऐसा कुछ करने जा रहे हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले धारीवाल
धारीवाल बोले हम कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं, हम सोनिया गांधी के सच्चे सिपाही हैं। यूडीएच मिनिस्टर बोले की कल सीएमआर में होने वाली बैठक से पहले ही हमें पता लग गया था कि अजय माकन के पास कितना सामान है। वह हम लोगों को बिना सुने ही एक लाइन का प्रस्ताव पारित कराना चाह रहे थे यह बिल्कुल गलत था। यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि जिन लोगों ने पार्टी से गद्दारी की वह बड़ा मामला था या यह अनुशासनहीनता बड़ा मामला है। उनका इशारा सचिन पायलट की ओर था। 

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मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए बोली ये बात
उधर मलिकार्जुन खरगे के लिए धारीवाल ने कहा कि वह अच्छे आदमी है। उन्होंने हमारी बात सुनी है। लेकिन अब आगे जो होगा वह अच्छा होगा। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार 5 साल तक चलेगी। रही राष्ट्रीय अध्यक्ष में अशोक गहलोत का नाम यह आलाकमान तय करेगा , इसके लिए बोलना हमारे लिए सही नहीं है।

उल्लेखनीय है कि कल शांति धारीवाल के यहां हुई विधायकों की बैठक में करीब 80 से ज्यादा विधायक पहुंचे थे और आज शांति धारीवाल के यहां हुई पीसी में सिर्फ 20 से 22 विधायक ही पहुंचे। अब विधायकों को भी डर सता रहा है कि उन्होंने आलाकमान की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षकों के साथ अनुशासनहीनता की है। बताया जा रहा है कि आलाकमान इस अनुशासनहीनता से बहुत ज्यादा नाराज है और इसे अंजाम देने वाले नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है।

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