राजस्थान के पशुपालकों के लिए अलर्ट वाली खबरः लंपी वायरस के बाद इस बीमारी का कहर, इस मर्ज का इलाज सिर्फ मौत

राजस्थान में गायों के लंपी वायरस के बाद अब घोड़ों में फैली ऐसी बीमारी कि जिसका कोई इलाज ही नहीं है। प्रदेस की राजधानी जयपुर में सबसे पहले संक्रमण फैलने की जानकारी सामने आई है। टेस्टिंग सुविधा सिर्फ हरियाणा में उपलब्ध। जानिए रोग के लक्षण..

Sanjay Chaturvedi | Published : Nov 2, 2022 8:29 AM IST

जयपुर ( jaipur). राजस्थान में बीते दिनों लंपी महामारी से जहां प्रदेश के करीब एक लाख से ज्यादा गोवंश की मौत हुई। हालांकि इसकी दवा आने से इस पर काफी हद तक के कंट्रोल कर लिया गया। अब यह राजस्थान में ना के बराबर है। लेकिन अब राजस्थान के घोड़ों में एक ऐसी बीमारी आई है। जिससे पशुपालन विभाग के अधिकारियों और सरकार की नींद उड़ चुकी है। दरअसल यह बीमारी ग्लैंडर्स है। जिसकी पुष्टि भी सबसे पहले राजधानी जयपुर में ही हुई है। इसके बाद ही पुष्कर मेले में घोड़े और खच्चर पर रोक लगी है।

लंपी से है ज्यादा खतरनाक, यहीं है बस टेस्टिंग सेंटर
यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि लंपी वायरस में जहां गाय को ट्रीटमेंट देकर ठीक कर दिया जाता था। लेकिन इसमें बीमारी को दूर करने का इलाज यही है कि घोड़ो या खच्चर को मार दिया जाए। यदि घोड़े को नहीं मारा जाता है तो उससे करीब 5 किलोमीटर के इलाके में संक्रमण फैल जाता है। जिससे अन्य घोड़े भी इसकी चपेट में आ जाते हैं।इसकी पुष्टि सबसे पहले राजधानी जयपुर के बगरू इलाके में सिराज खान नाम के युवक की घोड़ी पर हुई है। जिसकी जांच उसने हरियाणा के हिसार इलाके के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र पर करवाई थी। इस रोग में सबसे पहले घोड़े के शरीर पर लंपी की तरह ही फफोले होते हैं और उसके बाद सांस लेने में तकलीफ होना शुरू होती है और कुछ दिनों बाद घोड़े को बुखार भी हो जाता है।

संक्रमित होने पर घोड़े को मारा जाता है, मालिक को मिलता मुआवजा
राजस्थान में ग्लैंडर्स रोग की जांच कहीं भी नहीं होती है। इसके लिए घोड़ों को हरियाणा के हिसार में ही टेस्टिंग के लिए ले जाया जाता है। यदि यहां कोई घोड़ा संक्रमित पाया जाता है तो उसे तुरंत वहीं पर ही मार दिया जाता है। और घोड़े के मालिक को केंद्र सरकार की ओर से करीब 25 हजार का मुआवजा भी दिया जाता है। जबकि लंपी में ऐसी कोई भी स्कीम नहीं थी।

ये है इसके लक्षण, इंसान भी हो सकते है संक्रमित
ग्लैंडर्स बीमारी पशुओं के द्वारा मनुष्यों में भी हो सकती है। इसके जानने के लक्षण है मनुष्य हो या पशु उनकी त्वचा में फोड़े, नाक के अंदर फटे हुए छाले, तेज बुखार आना, नाक से पीला कनार व खून आना। इसके साथ ही सांस लेने में भी तकलीफ और अधिक खांसी आती रहती है। यह बीमारी मनुष्यों में पशुओं के साथ रहने और उनको चारा डालने के वक्त फैल जाती है। 

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