राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों ने कर दिया ऐसा कांड, सीएम गहलोत ने सुना तो माथा पीट लिया

राजस्थान के भरतपुर से सरकारी योजना के नाम पर अजीब घोटाला सामने आया है। जहां कर्मचारियों ने दवाईयों के नाम पर सरकार से मिला फंड के काजू बादाम खा गए। सीएम अशोक गहलोत को जब इस कांड के बारे में पता लगा तो वह भी हैरत में पड़ गए।

भरतपुर. राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों ने ऐसा कांड कर दिया कि सीएम अशोक गहलोत को जब इसका पता चला कि उन्होनें माथा पीट लिया। सरकारी कर्मचारियों की इस कारगुजारी के बाद अब सरकारी अधिकारी उनके खिलाफ एक्शन लेने की तैयारी कर रहे हैं। इस घटना के बाद अब उन कर्मचारियों की हालत खराब हो रही है जिन्होनें कांड किया है। कांड भी प्रदेश की सबसे बड़ी योजना में किया गया है। 

दवाईयों के नाम पर सरकार ने फंड दिया था वो काजू बादाम खा गए 
दरअसल मुफ्त दवा योजना के नाम पर सरकार ने पेंशनर्स और सरकारी कार्मिकों को हर साल एक तय फंड यूज करने की छूट दी थी। हर साल करीब बीस हजार रुपए तक की दवाईयां नियमानुसार सरकारी कार्मिक और पेंशनर्स को लेने की आजादी थी। लेकिन इस आजादी का ऐसा फायदा उठाया कि अब सरकार को सख्ती करने की तैयारी करनी पड गई। दरअसल कार्मिकों ने मेडिकल स्टोर संचालकों, चिकित्सकों और अन्य लोगों के साथ मिलकर 25 लाख रुपए से भी ज्यादा के काजू बादाम और अन्य उत्पाद खरीद लिए। ये रुपए दवाईयों के  पेटे सरकार के पास सुरक्षित थे। कैश नहीं निकाले जा सकते थे। लेकिन बिना कैश निकाले ही खेल कर दिया और सरकार को 25 लाख रुपए का फटका मार दिया। 

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25 लाख का फटका तो सिर्फ एक जिले का, राजस्थान में 33 जिले
आरजीएचएस दवा योजना के नाम पर सरकार को 25 लाख का फटका तो सिर्फ भरतपुर से ही लगा है। सरकारी कर्मचारियों ने मेडिकल स्टोर संचालकों के साथ मिलकर पच्चीस लाख रुपए की दवाई की जगह कॉस्मेटिक, च्यवनप्राश, बादाम, काजू और अन्य उत्पाद खरीद लिए। मुंह बंद करने की एवज में तीस से लेकर पचास फीसदी तक का कमीशन मेडिकल स्टोर संचालक भी खा गए। हाल ही में जयपुर स्थित मुख्यालय तक इसकी सूचना पहुंची तो गुप्त जांच पडताल शुरु हुई। ऐसे कर्मचारी टारगेट किए गए जो हर महीने परिवार के लोगों को बीमार दिखाकर दवाएं उठा रहे हैं और डॉक्टर भी उनको बाहर की दवा लिख रहे हैं। ऐसे कर्मचारी पकडे गए तो उनकी जांच में यह सब खुलासा हुआ। 

इस पैटर्न पर काम करता है आरजीएचएस
आरजीएचएस योजना सरकारी कार्मिकों को फायदा देने के लिए बनाई गई है। हर साल बीस हजार रुपए की दवा के अलावा डॉक्टर की सिफारिश पर बीमारी को देखते हुए इस बीस हजार की रकम को कई गुना तक बढ़वाया जा सकता है। कर्मचारियों ने डॉक्टरों से मिलकर बीस हजार को कई गुना तक बढ़वाया ओर जमकर फायदा उठाया। यह तो सिर्फ भरतपुर का नजारा है। राजस्थान में 33 जिले हैं। अब सभी जगह पर जांच पड़ताल शुरु कर दी गई है।

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