राजस्थान में छात्र संघ चुनाव से पहले स्टूडेंट लीडर को कोर्ट ने दे दिया बड़ा झटका, प्रदेश में मच गई खलबली

छात्र संघ के कई नेताओं ने चुनाव को लेकर जो आयु सीमा में छूट को लेकर अर्जी लगाई थी, उसे कोर्ट ने बुधवार 17 अगस्त की सुनवाई में मानने से इंकार कर दिया। इसके कारण कई दिग्गजों छात्र नेता चुनाव की दौड़ से ही  बाहर हो गए। कोर्ट के इस फैसले के बाद प्रदेश में खलबली मच गई है।

जयपुर. राजस्थान में 26 अगस्त को होने वाले छात्र संघ चुनाव को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में लगी एक याचिका पर आज कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। छात्र नेताओं ने हाईकोर्ट में अंतरिम राहत देने के लिए एक याचिका दायर की थी ,लेकिन कोर्ट ने अंतरिम राहत देने वाली इस याचिका को मानने से इनकार कर दिया है और मामले की अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद रखी गई है।  इन 2 सप्ताह के दौरान छात्र संघ चुनाव भी हो जाएंगे और छात्र संघ चुनाव का परिणाम भी आ जाएगा।  कोर्ट के इस फैसले के बाद छात्र नेताओं में खलबली मची हुई है, साथ ही छात्र संगठन भी परेशानी में है क्योंकि कोर्ट के एक फैसले के साथ ही उनके कई सीनियर छात्र छात्र संघ चुनाव की जग से ही खुद से ही बाहर हो गए हैं । 

 यह है पूरा मामला
 राजस्थान विश्वविद्यालय में और राजस्थान के अन्य सरकारी एवं निजी कॉलेजों में कोरोनावायरस काल गुजरने के बाद अब चुनाव की अनुमति मुख्यमंत्री ने दी है । इस अनुमति के बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है और 26 अगस्त को चुनाव होने हैं।  लेकिन इससे पहले कुछ छात्र नेताओं ने कोरोना काल में छात्रसंघ चुनाव नहीं होने पर उम्र की सीमा में 2 साल की राहत देने की मांग हाई कोर्ट में दर्ज एक याचिका में की थी। 

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छात्रों को कोर्ट के इस फैसलें की नहीं थी उम्मीद
छात्र नेता लोकेंद्र सिंह और अन्य ने यह याचिका पिछले दिनों दायर की थी और कोर्ट से इस याचिका के मामले में सुनवाई का इंतजार था। बुधवार यानी आज इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव ने उम्र सीमा में छूट देने से साफ इनकार कर दिया।  उनका कहना था कि चुनाव नियम अनुसार ही कराने होंगे । यह चुनाव लिंगदोह समिति के नियमों के तहत ही कराए जाएंगे । कोर्ट किसी भी तरह से अंतरिम राहत नहीं दे सकती है। 

क्या है लिंगदोह समिति के नियम
 दरअसल साल 2010 में लिंगदोह समिति की सिफारिशों के आधार पर चुनाव शुरू कराए गए थे।  प्रोफेसर और कई अन्य समाजविदो को लेकर बनाई गई इस समिति ने चुनाव लड़ने से लेकर चुनाव में खर्च होने वाले पैसे तक के नियम बनाए थे।  समिति ने ही चुनाव लड़ने वाले छात्रों की आयु सीमा तय कर दी थी । यह आयु 25 वर्ष तय की गई थी।  हालांकि एल एल एम के विद्यार्थी 28 वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए योग्य है।  आयु सीमा के अलावा समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि किसी भी चुनाव में ₹5000 से ज्यादा कोई छात्र नेता खर्च नहीं कर सकता, लेकिन हर बार चुनाव में लाखों रुपए छात्र नेता खर्च कर देते हैं।

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