लम्पी ने राजस्थान के गावों को बनाया मरघटः कल जिन गायों का दूध दुह रहे थे, आज उनकी लाशों को कौवे नोंच रहे

Published : Aug 05, 2022, 04:30 PM IST
लम्पी ने राजस्थान के गावों को बनाया मरघटः कल जिन गायों का दूध दुह रहे थे, आज उनकी लाशों को कौवे नोंच रहे

सार

राजस्थान सरकार ने लंपी वायरस की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार से भी मदद मांगी है।   वायरस से मरने वाली गायों की मौत के बाद अब किसी बड़ी महामारी की चिंता ग्रामीणों को सताने लगी है। एक सप्ताह में यहां कई गायों की मौत।

जयपुर. राजस्थान में लंपी वायरस के प्रकोप के कारण अब सरकार भी हिलने लगी है।  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से इस वायरस की रोकथाम के लिए मदद मांगी है।  प्रदेश के कई गांव में तो हालात यह हो गए हैं कि पिछले सप्ताह तक जिस गाय का दूध दुह रहे थे । जो आगंन में बंधी हुई थी अब उसी गाय की लाश को ग्रामीणों के सामने ही कौवे और कुत्ते नोच रहे हैं । राजस्थान के कई गांवों में मरघट जैसा माहौल होता दिख रहा है।  वायरस से मरने वाली गायों की मौत के बाद अब किसी बड़ी महामारी की चिंता ग्रामीणों को सताने लगी है । इसे लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायतें पहुंच रही है। 

केंद्रीय पशु पालन मंत्री कल आ सकते हैं राजस्थान 
राजस्थान सरकार ने लंपी वायरस की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार से भी मदद मांगी है।  पिछले सप्ताह नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने केंद्र सरकार में केंद्रीय कृषि एवं पशुपालन मंत्री को पत्र लिखकर मदद मांगी थी।  उसके बाद रविवार को केंद्र की ओर से आया दल नागौर, पाली, जोधपुर समेत कई जिलों का दौरा कर सोमवार को वापस चला गया था। दल ने जल्द ही मदद भेजने का वादा किया था, लेकिन सोमवार से आज शुक्रवार तक केंद्र की ओर से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल सकी  है।

इस बीच राजस्थान के पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया जिले भर के पशु चिकित्सकों और पशुपालन से जुड़े हुए लोगों से संपर्क कर हालात जाने हैं ,उनका कहना है कि जल्द ही हालात पूरी तरह से काबू कर लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस पूरे घटनाक्रम को लेकर आपातकालीन स्थितियों जैसी व्यवस्था की जा रही है । जिलों में उपलब्ध संसाधनों के अलावा रोगी पशुओं को अस्पताल ले जाने के लिए 30 अतिरिक्त वाहनों की व्यवस्था की गई है। 

100 लाख रुपये दे चुकी सरकार
मुख्यमंत्री ने बताया कि आपातकालीन आवश्यक औषधियां खरीदने के लिए हर जिले में अतिरिक्त बजट दिया गया है।  अजमेर, बीकानेर और जोधपुर कार्यालयों को 800000 से 1200000 रुपए तक और प्रभावित जिलों को 2 से ₹800000 तक का बजट देते हुए इस बीमारी के लिए ₹106 लाख की अतिरिक्त राशि दी गई है।  यह राशि दवाइयों और रोगी पशुओं को एक से दूसरी जगह ले जाने के लिए आवंटित की गई है। 

गांव में हालात बेहद खराब
इस बीमारी को लेकर गांव में हालात बेहद खराब है।  राजस्थान में यह बीमारी जयपुर, जोधपुर ,गंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर ,पाली ,सिरोही ,जालौर, अजमेर समेत 20 से ज्यादा जिलों में फैल चुकी है । जयपुर के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले मुरारी लाल मीणा ने बताया कि घर में 3 गायें हैं।  उनमें से दो वायरस की चपेट में आ गई है।  लाख कोशिश करने के बावजूद भी दोनों को नहीं बचाया जा सका।  उनका कहना था कि पिछले हफ्ते तक जिन गायों का दूध दुह रहे थे ,अब उन्हीं गायों को हमारी आंखों के सामने ही चील  कौवे नोच रह हैं। सरकार ने अगर जल्द ही जरूरी कदम नहीं उठाए तो मवेशियों को दफनाने के लिए जमीने कम पड़ जाएंगे।
 

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