6 अगस्त से राजस्थान में अनिश्चितकाल के लिए चक्का जाम, 50 हजार से ज्यादा ट्रक चालक नहीं चलाएंगे ट्रक

राजस्थान सरकार द्वारा बस ऑपरेटरों को माल ढोने की परमिशन देने के बाद प्रदेश के ट्रक ड्रायवर 6 अगस्त से अनिश्चत कालीन हड़ताल पर जा रहे है। राज्य सरकार के एक फैसले के खिलाफ बंद रहेंगी कई ट्रांसपोर्ट कंपनियां....

जयपुर. 6 अगस्त शनिवार यानी कल सवेरे से राजस्थान में 50 हजार से भी ज्यादा ट्रक चालक हड़ताल पर चले जाएंगे । कल प्रदेश में कोई भी ट्रांसपोर्ट कंपनी नहीं खुलेगी।  शाम तक अगर सरकार से वार्ता नतीजा लेकर निकलती है तो यह चक्का जाम खत्म कर दिया जाएगा लेकिन अगर वार्ता बेनतीजा रहती है तो यह चक्का जाम अनिश्चितकाल के लिए शुरू हो जाएगा।  ऐसा होने से राजस्थान समेत आसपास के कई राज्यों में लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा । ट्रक में लोड होने वाला सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में या एक जिले से दूसरे जिले में नहीं पहुंचेगा तो परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ट्रक ऑपरेटर्स ने तो परचून का सामान उठाएंगे, न फल फ्रूट सब्जियां इधर से उधर देंगे लाद कर ले जाएंगे।

यह सब सरकार के इस फैसले के कारण हो रहा 
दरअसल राजस्थान सरकार ने पिछले दिनों निजी बस ऑपरेटर के कहने पर उन्हें भी माल ढुलाई करने की अनुमति दे दी थी।  इसके लिए एक लाइसेंस प्रक्रिया को फॉलो करना था और उसके बाद निजी बस ऑपरेटर भी अपने वाहनों में और वाहन की छत पर माल ढोने के लिए अनुमत हो गए थे। इसी फैसले का ट्रक ऑपरेटर्स काफी समय से विरोध कर रहे थे, लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अब कल यानी 6 अगस्त से चक्का जाम करने की तैयारी पूरी कर ली गई । राजस्थान की सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ,जयपुर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश कुमार परचून ने कहा है कि सरकार अपने स्तर पर ही उटपटांग कानून बनाती है । बस चालकों को अगर माल परिवहन की अनुमति दे दी गई तो ट्रक वाले कहां जाएंगे?  वह क्या काम करेंगे ? उनके परिवार भूखे नहीं मरेंगे क्या....। 

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राज्य सरकार के फैसलें ने तोड़ी कमर
लेकिन सरकार ने तो अपनी तिजोरी भरने की तैयारी कर ली है।  सरकार बस चालकों से माल ढुलाई के लाइसेंस देने के लिए 40 हजार सालाना लेगी। सालाना माल ढुलाई का लाइसेंस नहीं लेने वाले 1 महीने तक का भी लाइसेंस लेने के लिए योग्य होंगे, उन्हें इसके लिए 6 हजार महीना देना होगा। सतीश जैन ने कहा कि जयपुर में 5 हजार से ज्यादा बस ऑपरेटर हैं, वहीं पूरे प्रदेश में इनकी संख्या 50 हजार से भी ज्यादा है।  अगर यही माल धोएंगे तो ट्रक वाले क्या करेंगे ,जबकि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत बसों की छत पर किसी तरह का माल ढोना तो क्या सवारी बैठाना भी अनुचित है।  लेकिन सरकार एक साथ दो नियम तोड़ने की तैयारी कर रही है। सतीश जैन ने कहा कि कल से न तो ट्रक चलेंगे, न हीं कोई ट्रक माल लाएगा।  न हीं कोई ट्रांसपोर्ट कंपनी खुलेगी।  सरकार यह काला कानून वापस नहीं लेती है तो विरोध प्रदर्शन के अन्य रास्ते भी हम खोजेंगे। सरकार के इस फैसले के बाद भूखे मरने की नौबत आना तय है।

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