कृष्ण जनमाष्टमी के पहले राजस्थान के जयपुर से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। जहां लड्डू गोपाल की चोरी हुई मूर्तिया चोर के पास से बरामद करने के बाद पुलिस के मालखाने में जमा है। कोर्ट से अभी तक मूर्ति सौंपने का आदेश नहीं आया है। ऐसे में मंदिर प्रबंधन परेशान है।
जयपुर. अक्सर आपने सुना होगा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है लेकिन क्या कभी सुना है कि कानून से ऊपर खुद ऊपर वाले भी नहीं है। ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला जयपुर शहर से सामने आया है। मामला चौंकाने वाला इसलिए है क्योंकि 2 दिन बाद जन्माष्टमी है, और हजारों लोगों को इंतजार है कि श्री कृष्ण सलाखों से आजाद होकर मंदिर पहुंचेंगे। लेकिन कलयुग में भगवान श्री कृष्ण का कोई भी चमत्कार कानून के सामने नहीं चलता दिख रहा है।
यह है पूरा मामला
दरअसल जयपुर के करधनी थाना क्षेत्र में स्थित नांगल जैसा बोहरा क्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण करीब 200 साल पुराने एक मंदिर में लड्डू गोपाल के रूप में विराजे हुए हैं । लड्डू गोपाल की वहां दो मूर्तियां हैं। हर साल इस मंदिर में जन्माष्टमी के दौरान मेला भरता है। लेकिन इस बार मंदिर के पुजारी और आयोजक परेशान है। हुआ यूं कि 28 मई 2022 को मंदिर में चोरी हो गई। दो चोर मंदिर में घुसे और लड्डू गोपाल की प्राचीन प्रतिमाएं उठाकर ले गए। इसके बाद कुछ दिन में ही करधनी थाना पुलिस ने चोरी के दो आरोपी गिरफ्तार भी कर लिए और उनसे चोरी की मूर्तियां भी बरामद कर ली।
चोर बेल पर बाहर आए और अपने किए की माफी मांगी
गिरफ्तार आरोपियों को रिमांड पर लेने के बाद जेल भेज दिया गया। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले दोनों आरोपी गोपाल और असलम जेल से जमानत पर बाहर भी आ गए। जेल से छूटने के बाद दोनों आरोपी सीधे लड्डू गोपाल के मंदिर गए वहां पर हाथ जोड़कर अपने किए गए कृत्य के लिए माफी मांगी। चोरी की इस घटना में पुलिस ने चोरी की जो मूर्तियां बरामद कि वे अब पुलिस के मालखाने में जमा है।
भगवान को कोर्ट से रिहाई के आदेश का इंतजार
करधनी थाना के थाना अधिकारी बनवारी लाल मीणा ने बताया मूर्तियां बरामद कर ली गई है, लेकिन फिलहाल पुलिस की कस्टडी में है। पुलिस की कस्टडी में इसलिए है क्योंकि अभी अदालत ने मंदिर प्रबंधन को मूर्तियां सुपुर्द करने का आदेश नहीं दिया। फिलहाल यह मामला कोर्ट में चल रहा है। बनवारी लाल मीणा ने कहा कि मैं खुद चाहता हूं जन्माष्टमी से पहले दोनों मूर्तियां वापस अपनी पुरानी जगह पर पहुंच जाएं, लेकिन कानून की पालना करना परम आवश्यक है। ऐसे में बिना कानूनी आदेश के मूर्तियों को मंदिर प्रबंधन के सुपुर्द नहीं किया जा सकता।
जयपुर के इस अनोखे मामले के बाद अब मंदिर के पुजारी और आसपास रहने वाले लोग परेशान हैं। उनका कहना है कि चोरों की एक गलती की सजा भगवान भुगत रहे हैं। 200 साल पुरानी परंपरा इस बार टूटेगी, क्या पता इसका क्या नुकसान उठाना पड़ सकता है ?
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