उत्तर भारत के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएमएस में सबसे बड़ा रिश्वत कांड सामने आया है, एसीबी ने रेड मार पकड़े आरोपी। अब तक चार गिरफ्तार। और भी नाम आ सकते है बाहर।
जयपुर.उत्तर भारत के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल माने जाने वाले एसएमएस हॉस्पिटल में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) की टीम ने बड़ी रेड की है। यहां के डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ मिलाकर अभी चार लोग पकडे़ जा चुके हैं। लेकिन इनकी संख्या और बढ़ सकती है। इन चारों के पास से 65 लाख रुपए तो कैश ही मिला है। उसके अलावा करोड़ों रुपयों के लेन देन के बारे में भी जानकारी मिल रही है। रिश्वत का पैसा लेते समय इतने अंधे हो गए भ्रष्टाचारी कि डमी नोट तक लेकर जेब में रख लिए।
पांच करोड़ रुपए के पेमेंट पर कमीशन लेने की बात थी, रेड कर दी एसीबी ने
एसीबी की जयपुर ग्रामीण टीम ने शुक्रवार रात को बड़ी कार्रवाई करते हुए सवाई मानसिंह अस्पताल के फाइनेंशियल एडवाइजर, आरएमआरएस के कैशियर, सहायक लेखाधिकारी (assistant accounts officer) को 15 लाख 60 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। एसीबी को कैशियर अजय शर्मा के जगतपुरा स्थित निवास से 50 लाख रुपए की नगदी मिली है। एसीबी को इन नोटों को गिनने के लिए मशीन मंगवानी पड़ी। देर रात आरएमआरएस प्रभारी डॉक्टर अधोकक्षाज जोशी को भी गिरफ्तार कर लिया गया। उनके घर से भी करीब एक लाख रपए कैश बरामद किया गया है। यह रकम पांच करोड़ रुपए के पेमेंट को रिलीज करने की एवज में कमीशन के तौर पर मांगी गई थी।
पीपीपी मोड पर लगी हुई मशीन का पेमेंट मांगा था
प्राइवेट हॉस्पिटल के संचालक ने एसीबी अफसरों को बताया कि जयपुर के एक बड़े निजी अस्पताल के मालिक ने यह रिपोर्ट दी थी। उन्होनें अपने निजी अस्पताल के सहयोग से एसएमएस जयपुर में पीपीपी मॉडल पर रेडियेशन थैरिपी की मशीन लगा रखी थी। इसका करीब सवा पांच करोड़ रुपए का पेमेंट होना बाकी था। काफी समय से अटके हुए इस भुगतान के लिए डॉक्टर बृजभूषण शर्मा, कैशियर अजय शर्मा, सहायक लेखाधिकारी प्रकाश शर्मा उससे 1.5%- 1.5% के हिसाब से 15लाख से अधिक की घूस की राशि की मांग रहे थे। इसके बिना पेमेंट नहीं दे रहे थे। ऐसे में पीड़ित हॉस्पिटल ऑनर एसीबी के पास पहुंचा और जानकारी दी। उसके बाद रेड की गई।
रिश्वत लेने में इतने अंधे की नकली नोट भी रख लिए
निजी अस्पताल (private hospital) के मालिक की शिकायत को वेरीफाई कराने के बाद पता चला कि उसके आरोप सही हैं। उसके बाद एसीबी की टीम ने रेड प्लान की। और हॉस्पिटल ऑनर को अपने इस प्लान में शामिल किया तो पीड़ित पक्ष ने कहा के उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वे इतने रुपए दे सके। इस पर एसीबी अफसरों ने उसे पांच लाख 38 हजार रुपए के नकली नोट दिए। उसने ये नोट असली में मिलाए और रिश्तव मांग रहे अफसरों को दे दिए। बाद मे जब पीड़ित रिश्वत देने पहुंचा तो एसीबी अफसर भी साथ आ गए और रिश्वत लेते अफसरों को धर लिया। एसीबी डीजी बीएल सोनी ने बताया कि निजी अस्पताल के संचालक ने अपनी जानकारी देने से मना कर दिया इस कारण उनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा रही है।
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