
जयपुर, राजस्थान की राजधानी जयपुर में रहने वाले अवधेश पुरोहित के घर इस वक्त जश्न का माहौल है। परिवार के हर सदस्य की आंखों में खुशी के आंसू हैं। क्योंकि 3 फरवरी को स्कूल से लापता हुई उनकी दो बेटियां आखिरकार 55 दिन बाद मिल गई हैं। दोनों को लखनऊ में डोर-टू-डोर घरेलू सामान बेच रही थीं। दिन रात मेहनत करने के बाद लखनऊ और जयपुर की पुलिस उन तक पहुंची और उन्हें खोज निकाला। पिता के साथ बच्चियों को वापस जयपुर ले जाया जा रहा है।
पुलिस ऐसे बच्चियों तक पहुंची
दरअसल, जयपुर पुलिस ने दोनों बहनों के सैकड़ों पोस्टर और फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर कर रखे थे। इन्हीं ग्रुप के आधार पर पुलिस को लीड मिली। जिसके बाद लखनऊ पुलिस से मदद ली गई। पुलिस बच्चियों तक पहुंची तो वह डोर-टू-डोर घरेलू सामान बेच रही थीं। इन्हीं से आए पैसे से वह कमरे का किराया और खाना खाती थीं। किसी तरह पुलिस मौके पर गई और बच्चियों को समझाकर अपने साथ लेकर आई। बहनों के मिलने के बाद सबसे पहले यह जानकारी पुलिस कमिश्नर आनंद ने सोशल मीडिया पर दी। दोनों बहनों अभी तक यह नहीं बताया है कि आखिर वह किस वजह से घर से निकल गई थीं।
तबीयत खराब का बहाना बनाकर घर से निकली थीं
यह मामला जयपुर के महेश नगर थाना इलाके का है। जहां भावना (17) और रमा कंवर (16) दोनों बहनें अचानक पिछले महीने गायब हो गई थीं। दोनों बहनें 12वीं और 11वीं की स्टूडेंट हैं। वह 3 फरवरी को स्कूल से 10 बजे तबीयत खराब का बहाना बनाकर घर के लिए निकली थीं, लेकिन वह बीच रास्ते में से ही लापता हो गईं। इसके बाद उन्होंने पिता को फोन करके बताया कि वह स्कूल टीचर चांद के घर नीट पेपर के सवालों पर बात करने जा रहीं हैं और दोपहर तक वापस आ जाएंगी।
गायब होने के एक दिन टीचर के पास आया था कॉल
शाम हो जाने के बाद जब भावना और रमा घर नहीं लौटी तो परिवार परेशान होने लगा। पिता उनका पता लगाने के लिए टीचर चांद के घर पहुंचे, लेकिन वह वहां टीचर ने जब कहा कि यहां तो दोनों नहीं आईं तो चिंता और बढ़ गई। इसके बाद बेटियों की सहेलियों और दोस्तों से उनके बारे में पूछा, लेकिन उनका कहीं कोई पता नहीं चला। दोनों का मोबाइल फोन भी बंद था। आखिर में पिता ने दोनों बेटियों की महेश नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।
ऑटो वाले ने बताई पुलिस को पूरी सच्चाई
बता दें कि दोनों के गुम होने के अगले दिन टीचर चांद के मोबाइल पर शिवानी वर्मा नाम से भावना ने कॉल आया। जिसमें नानी की तबीयत बिगड़ने को लेकर पैसे मांगे गए। इसके बाद फोन को काट दिया गया। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए छानबीन शुरू की तो पता चला कि यह कॉल लखनऊ के किसी ऑटो चालक के नंबर से किया गया था। पुलिस ने पड़ताल की तो यह फोन परशुराम यादव का निकला। उसने बताया कि दोनों को उसने ऑटो से लखनऊ के चारबाग छोड़ा था। जिसके बाद जयपुर पुलिस ने लखनऊ पुलिस से मदद ली और वह बच्चियों तक पहुंच गई।
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