बहन की मौत का मंजर यादकर सिहर उठती है अलीना, सदमे में छोड़ दी पढ़ाई, रोते रहते हैं मम्मी-पापा

13 मई 2008 जयपुर बम ब्लास्ट केस में कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने इस मामले में 4 आरोपियों को दोषी करार दिया है। इस धमाके में  71 लोगों की जान चली गई थी। मृतकों के परिवार को इस फैसले से राहत तो मिली। लेकिन उनके जख्म अभी भी हरे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 18, 2019 9:18 AM IST / Updated: Dec 18 2019, 02:50 PM IST

जयपुर (राजस्थान).13 मई 2008 जयपुर बम ब्लास्ट केस में कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने इस मामले में 4 आरोपियों को दोषी करार दिया है। इस धमाके में  71 लोगों की जान चली गई थी। वहीं 185 लोग गंभीर घायल हुए थे। मृतकों के परिवार को इस फैसले से राहत तो मिली। लेकिन उनके जख्म अभी भी हरे हैं। 

इस तरह हमेशा के लिए बिछड़ गईं दो बहनें...
हम बात कर रहे हैं इस सीरियल ब्लास्ट में मारी गई इल्मा के परिवार की। 11 साल पहले जयपुर की अलीना और इल्मा दोनों बहनें एक ही स्कूल में चौथी क्लास में पढ़ती थीं। 13 मई के दिन दोनों बहनें मां के कहने पर दपोल हनुमान मंदिर के पास दही लेने गई थीं। उसी दौरान बम ब्लास्ट हो गया। इस धमाके में जहां इल्मा की मौके पर मौत हो गई। जबकि अलीमा गंभीर रूप से जख्मी हो गई। हालांकि इलाज के बाद उसकी हालत में सुधार हो गया। लेकिन वह उस मंजर को याद करके सिहर उठती है।

धमाके का ऐसा सदमा कि नहीं कर पाई पढ़ाई
इल्मा के परिवार ने इस हमले के बाद उस कॉलोनी के बाद अपना घर ही बदल लिया। लेकिन जख्म अभी भी गहरे हैं। अपनी बहन की मौत के बाद अलीमा को इस तरह गहरा सदमा लगा कि वह इससे अभ तक नहीं उबर पाई। इस सदमे की वजह से अलीना अपनी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाई।
 
मंजर को याद कर रोने लगी थी अलीना...
अलीना बताती है, वह जब कभी उस इलाके से गुजरती है तो उसको वो पूरा सीन याद आ जाता है। उसने बताया मैं अपनी बहन इल्मा के साथ दुकान गई थी। जहां कुछ देर बाद एक धमाका हो जाता है। देखते ही देखते जमीन धस गई और इल्मा का हाथ मुझसे हमेशा-हमेशा के लिए छूट गया। चारों तरफ लोग चीख रहे थे। हर ओर लोग दर्द के मारे चिल्ला रहे थे। वो मंजर बहुत ही डरावना था। जिसको देखों वह जमीन पर गिरा पड़ा था। मेरे शरीर से भी खून आ रहा था। लोग मुझे उठाकर किसी तरह अस्पताल लेकर गए। चारों तरफ मातम ही मातम था। जिस समय ब्लास्ट हुआ मुझको और मेरे परिवार को यह नहीं पता था कि मेरी बहन भी इस हादसे का शिकार हुई है। हम उसको यहां-वहां खोज रहे थे। मेरी अम्मी इल्मा चिल्ला  रहीं थी, लेकिन वो सुनने वाली नहीं थी। क्योंकि वो इस दुनिया से अलविदा कह चुकी थी।

नहीं भर रहे 11 साल पुराने दर्द...
वहीं दूसरी इस ब्लास्ट में 8 साल के भाई शुभम को खोने वाली बहन पूनम ने रुंधे गले से कहा कि आज मेरा भाई 19 साल का हो जाता। काश! वो हमारे साथ होता तो बहुत अच्छा लगता। लेकिन, आज 11 साल बाद भी उसे भुला नहीं सकी हूं। आज भी दिन-रात मेरे मम्मी-पापा रोते हैं। 
 

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