देश की यह एक ऐसी विधानसभा है जहां कोई भी सरकार पूरे विधायकों के साथ कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। कभी किसी की मौत हुई तो कभी कोई विधायक जेल गया, शमशान घाट के नजदीक बनी हुई है विधानसभा। मामला राजस्थान ऐसेंबली का है।
जयपुर. देश का एक ऐसा राज्य जहां सरकार चलाने के लिए कभी भी विधायक पूरे नहीं हो सके। बीस सालों से जो यही परिपाटी चल रही है। विधानसभा में दो सौ विधायकों की सीट है लेकिन कभी भी पूरे कार्यकाल के लिए विधायकों की संख्या दो सौ नहीं रही। कभी कोई विधायक जेल चला गया तो कभी कोई विधायक दुनिया से ही रुखस्त हो गया। लगभग हर दूसरे साल विधायकों के लिए उपचुनाव कराए जा रहे हैं। यह है राजस्थान की विधानसभा। करीब बीस साल पहले ही विधानसभा को पुराने भवन से नए भवन में शिफ्ट किया गया है। विधानसभा का यह मामला फिर से चर्चा में है क्योंकि फिर से विधायकों की गिनती टूट गई हैं। दो दिन पहले विधाकय भंवरलाल शर्मा की मौत के बाद अब विधायकों की संख्या फिर से 199 हो गई है। सरकार जल्द ही उपचुनाव की तैयारी करा रही है।
राजस्थान की विधानसभा का बीस साल का इतिहास
दरअसल करोड़ों रुपयों की लागत से हाईकोर्ट सर्किल के नजदीक करीब 22 साल पहले नई विधानसभा का निर्माण हो गया था। इससे पहले विधानसभा जयपुर के वॉल सिटी इलाके में बड़ी चौपड़ के नजदीक स्थित है। अंग्रेजों के समय में बने इस भवन को अब बंद कर दिया गया है। 22 साल पहले राजस्थान में नई विधानसभा बना ली गई। कहा जाता है कि विधानसभा भवन के लिए ली गई भूमि में कुछ भूमि पास ही स्थित शमशान घाट की भी है। कारण कुछ भी हो लेकिन जब से विधानसभा बनी है तब से अब तक कोई भी सरकार अपने उन्हीं विधायकों के साथ पांच साल पूरे नहीं कर सकी है जिन विधायकों को पहली बार चुनकर लाया गया था।
20 साल में कई दुनिया छोड़ गए, तो कई विधायक जेल जले गए
विधानसभा के बीस साल के कार्यकाल के दौरान अब तक 15 विधायकों की मौत हो चुकी है। यानि सरकार को पंद्रह बाद उप चुनाव कराने पडे हैं। वर्तमान सरकार के कामकाज के दौरान सबसे ज्यादा छह विधायकों की मौत हुई है। राजस्थान विधानसभा में विधायकों के निधन का सिलसिला वर्तमान भवन में 2001 में नई विधानसभा में शिफ्टिंग के 1 साल बाद फरवरी 2002 में ही शुरू हो गया था। जब अजमेर पश्चिम से विधायक किशन मोटवानी का फरवरी 2002 में निधन हुआ। उसके बाद से अब तक राजस्थान विधानसभा के 15 विधायक ऐसे रहेए जिनका निधन विधायक रहते हुए हुआ।
पिछले 20 साल में इन विधायकों का हुआ निधन
अजमेर पश्चिम विधायक किशन मोटवानी का निधन फरवरी 2002 में हुआ।
दिसंबर 2002 में बानसूर विधायक जगत सिंह दायमा का निधन।
सागवाड़ा विधायक भीखा भाई का 2002 में निधन।
जनवरी 2005 में लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई का निधन।
मई 2006 में डीग विधायक अरुण सिंह की मृत्यु।
दिसंबर 2006 में डूंगरपुर विधायक नाथूराम अहारी का निधन।
सितंबर 2017 में भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी का स्वाइन फ्लू से निधन।
21 फरवरी 2018 को नाथद्वारा विधायक कल्याण सिंह का निधन।
19 अप्रैल 2018 को भाजपा विधायक धर्मपाल चौधरी का निधन।
7 अक्टूबर 2020 कांग्रेस के सहाड़ा से विधायक कैलाश चंद त्रिवेदी का निधन।
17 नवम्बर 2020 को मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल का निधन।
30 नवम्बर 2020 भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी का निधन।
20 जनवरी 2021 को कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का निधन।
19 मई 2021 को भाजपा के धरियावद विधायक गौतम लाल मीणा का निधन।
09 अक्टूबर कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा का निधन।
कुछ जेल चले गए तो कुछ चुनाव जीतकर सांसद हो गए, इस कारण भी 199 का फेर रहा
विधायकों के जेल जाने और सांसद बनने के कारण भी कई बार 200 की गिनती पूरी नहीं हो सकी। 2011 में गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा और विधायक मलखान सिंह को जेल जाना पड़ा। साल 2013 में मंत्री बाबूलाल नागर जेल गए। 2017 में बीएल कुशवाह को जेल जाना पड़ा। उसके अलावा कई विधायक सांसद भी हो गए। 2013 में विधानसभा चुनाव में विधायक बने वर्तमान लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, संतोष अहलावत, बहादुर सिंह कोली ओर सांवरलाल जाट ने 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बने। नागौर के खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल के नागौर सांसद बने और मंडावा से विधायक नरेंद्र कुमार के सांसद बने।
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