जवान शैतान सिंह का कहना है कि उन्हें बेटा खोने का जो दर्द होता है, वह पता है, इसलिए वह नहीं चाहते कि किसी और भी यह दर्द मिले। इसलिए उन्होंने लोगों तक जागरुकता और मदद पहुंचाने का संकल्प लिया और धीरे-धीरे ही सही उनका संकल्प आगे बढ़ रहा है।
झुंझुनूं : राजस्थान (Rajasthan) के झुंझुनूं (Jhunjhunu) में रेबीज से बेटे की मौत ने एक पुलिसकर्मी की जिंदगी ही बदल दी। इस बीमारी से आगे कोई परिवार ना उजड़े इसके लिए अब वह अपने खर्चे पर जन जागरुकता अभियान चला रहा है। स्कूल से लेकर पंचायत के कार्यक्रमों तक पहुंचकर पुलिस का यह जवान लोगों को इस बीमारी की जानकारी और बचाव के उपाय बता रहा है। इतना ही नहीं, अपने खर्च पर लोगों को सीरम भी उपलब्ध करवा रहा है। लोगों की रेबीज से जान बचाने में जुटे ये सिपाही झुंझुनूं पुलिस लाइन के जवान शैतान सिंह हैं। जो करीब सवा साल में ही अपने संकल्प को पूरा करने के लिए चार लाख रुपए से ज्यादा की राशि खर्च कर चुके हैं।
बेटे की मौत के बाद जन्मदिन पर लिया संकल्प
मूलरूप से जयपुर (Jaipur) की आमेर तहसील के कोटड़ा गांव निवासी शैतान सिंह के इकलौते बेटे प्रिंस की कुत्ता काटने से हुए रेबीज से पिछले साल 9 जनवरी को मौत हो गई थी। बेटे की मौत से एक बार तो परिवार टूट गया। बेटे की मौत के 16 दिन बाद ही जब 26 जनवरी को उसका जन्मदिन आया तो बेटे की स्मृति में उन्होंने अपनी जिंदगी को नया मकसद देते हुए दूसरों की जिंदगी बचाने का संकल्प लिया। रेबीज से मौत की बड़ी वजह जागरुकता की कमी को मानते हुए उन्होंने बेटे की जान लेने वाली इस बीमारी से ही लोगों को बचाने को मिशन बना लिया। तब से वे अपने स्तर पर ही जन जागरुकता अभियान का संचालन कर रहे हैं।
फोन पर देते हैं सलाह, फ्री में देते हैं सीरम
शैतान सिंह जिला परिषद, पंचायत और नगर निकायों की सभाओं और स्कूल कॉलेज में जाकर लोगों को रेबीज से बचने के उपाय बताते हैं। घाव की ग्रेड के अनुसार एआरवी और एआरएस लगवाने और डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार रेबीज प्रोटोकॉल के तहत उपचार की सलाह देते हैं। इसके अलावा खाली समय में वे लोगों को फोन पर मुफ्त सलाह देने के अलावा खुद भी मौके पर पहुंचकर घायलों का उपचार करवाते हैं। शैतान सिंह गोवा की तरह राजस्थान को भी रेबीज मुक्त करना चाहते हैं।
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