सार

राजस्थान के जोधपुर में एक दूल्हा ऊंट पर सवार होकर विवाह करने गया। दूल्हे को ऊंट पर बैठा देख लोग हैरत में पड़ गए। कई लोगों को 50 साल पहले का वो दौर याद आ गया जब ऊंट और बैरगाड़ियों पर बारात जाया करती थी। 

जोधपुर। बीच सड़क पर ऊंट पर अगर दूल्हा बैठा नजर आए तो हर किसी को अचरज होगा ही। क्योंकि अब वो जमाना नहीं रहा कि ऊंटों पर बारात जाए। लोग कारों में सवार होकर बारात जाते हैं। दूल्हे के लिए तो कार को खासतौर पर सजाया जाता है। हालांकि सोमवार को जोधपुर में एक अलग नजारा दिखा। 

जिले के शेरगढ़ में एक दूल्हा अपनी दुल्हन को लाने के लिए ऊंट पर चढ़कर निकला। शेरवानी और पगड़ी पहना दूल्हा ऊंट पर सवार था। ऊंट को भी इस मौके के लिए सजाया गया था। उसे दर्जनों घंटियां और रंग बिरंगे झालर पहनाए गए थे। दूल्हे के पीछे बैठा ऊंट वाला ऊंट को तेजी से दौड़ाए जा रहा था। दूल्हे का नाम दिनेश कुमार सुथार है। सियांदा गांव के रहने वाले दिनेश 
भारतीय सेना के जवान हैं। 

बाड़मेर से मंगवाए गए थे ऊंट
दिनेश ने तय किया था कि वह किसी कार में बैठने के बजाय ऊंट पर बैठकर दूल्हन को लाने जाएंगे। इसके लिए पूरी तैयारी भी की गई। बाड़मेर से तीन ऊंट मंगवाए गए थे। एक ऊंट पर दिनेश और दो ऊंट पर उनके दोस्त सवार हुए। इसके बाद बारात सियांदा से तिबना के लिए रवाना हुई। करीब पांच किलोमीटर की दूरी डेढ घंटे में तय हुई। 

दिनेश के पीछे परिवार के अन्य सदस्य कार और बाइक पर सवार होकर चल रहे थे। दिनेश का कहना है कि वह चाहते थे कि पुराने तरीके से अपनी बारात ले जाएं। दूरी भी कम थी इसलिए इसमें अधिक परेशानी नहीं हुई। ऊंट पर बैठकर ही ससुराल में तोरण मारने की रस्म निभाई गई।

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50 साल पहले तक ऊंट पर ही जाती थी बारात
दूल्हे को ऊंट पर सवार देख लोगों को पुराने दिनों की याद आ गई। पचास साल पहले तक ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह के दौरान बारात ऊंट और बैलगाड़ी में ही जाया करती थी। धीरे-धीरे वाहनों ने इनकी जगह ले ली, लेकिन एक बार फिर धीरे-धीरे कुछ लोग पुराने तरीके की ओर लौट रहे हैं।

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