दिवाली विशेषः सट्टे के रुपयों से बना है राजस्थान का यह 300 साल पुराना भव्य मंदिर, हर मनोकामना होती है पूरी

देश भर में सोमवार के दिन दिवाली का त्यौहार मनाया जा रहा है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जा सकती है। इस दिन जानिए राजस्थान स्थित इस माता मंदिर के बारे में जो कि सट्टे के रुपयों से बना है। मान्यता है कि यहा आने वाले की हर मनोकामना पूरी होती है।

Sanjay Chaturvedi | Published : Oct 24, 2022 1:49 PM IST / Updated: Oct 24 2022, 07:21 PM IST

नागौर. देश भर में आज दिवाली का त्यौहार पूरे धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं जिन धंधों का हम आमतौर पर गलत या दो नंबर के बताते हैं। उन्हीं धंधों के रुपयों से राजस्थान में एक मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर करीब 300 साल से भी ज्यादा पुराना है। यहां जो भी भगवान से जो कुछ मांगता है उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है।

सट्टे लगाने की बात के बाद नींव पड़ी
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के नागौर जिले में स्थित लक्ष्मीनाथ मंदिर की। मान्यता है कि करीब 300 साल पहले यहां एक सेठ हुआ करते थे हीरानंद जाजू। जिनके पास ही काफी बड़ा व्यापार था और वह खुद को भगवान लक्ष्मी नाथ का दास ही बताते थे और हमेशा भगवान की सेवा भी करते रहते थे। एक बार बीकानेर से एक सेठ रामपुरिया उनके पास दुकान पर मिलने के लिए पहुंचा। दोनों सेठों के बीच हम जूते फेंकने की बात पर सट्टा लगाते हैं।

इन्हीं सट्टों के पैसों से बना है मंदिर
दो बार जूता फेंका गया। जिसमें दोनों सेठों के बीच शर्त लगी की जूता सीधा गिरेगा या उल्टा। दोनों बार हीरानंद जाजू यह शर्त जीत गया। फिर अंतिम बार जब जूता नीचे गिरने वाला था तो जाजू ने रामपुरिया से कहा कि जूता इस बार ने तो उल्टी साइड से गिरेगा और ना ही सीधी साइड से। इसके बाद जाजू ने भगवान लक्ष्मी नाथ का स्मरण किया और कुछ क्षण बाद ही वह जूता सीधा खड़ा हो गया। ऐसे में तीसरी बार भी सर्च हीरानंद जाजू ही जीता।

इसी दिन हीरानंद जाजू ने प्रण लिया कि वह भगवान लक्ष्मी नाथ का भव्य मंदिर बनवाया था। आज यह काफी बड़ा मंदिर बन चुका है। नागौर के अलावा दूसरे जिलों से भी यहां भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां हर मनोकामना पूरी होती है।

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