दर्द से तड़पती गर्भवती पैदल ही हॉस्पिटल के लिए चल पड़ी, 6 किमी दूर एक कांस्टेबल ने देखा, तो हैरान रह गया

यह तस्वीर जयपुर लॉकडाउन के दौरान खराब स्वास्थ्य सेवाओं की बानगी है। कोरोना संक्रमण को लेकर डॉक्टर भले ही शिद्दत से अपनी ड्यूटी कर रहे हों, लेकिन व्यवस्थाएं लोगों की जान पर भारी पड़ रही हैं। यह गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा होने पर गणगौरी हॉस्पिटल पहुंची थी। यह अस्पताल कोरोना के लिए रिजर्व किया गया है। लिहाजा गर्भवती को वहां से दूसरे हॉस्पिटल जाने को बोल दिया गया। लेकिन एम्बुलेंस सुविधा न मिलने पर वो आधी रात पैदल ही दूसरे हॉस्पिटल को निकल पड़ी।

जयपुर, राजस्थान. कोरोना संक्रमण के बीच पुलिस जिस तरह से अपनी ड्यूटी निभा रही है, उसने एक मिसाल कायम की है। लॉकडाउन के दौरान सिर्फ कानून व्यवस्था संभालने तक ही पुलिस सीमित नहीं है, लोगों की मदद करने में भी सबसे आगे है। यह मामला भी पुलिस की संवदेनशीलता को दिखाता है। यह गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा होने पर शनिवार रात करीब 2 बजे अपने पति और एक अन्य महिला के साथ हॉस्पिटल के लिए निकली थी। रास्ते में जब एक कांस्टेबल ने उन्हें देखा, तो फौरन अपनी गाड़ी से गर्भवती को हॉस्पिटल तक पहुंचाया। रविवार को महिला ने एक बेटी का जन्म दिया।


परेशानी के बीच देवदूत बना पुलिसवाला..
यह तस्वीर जयपुर लॉकडाउन के दौरान खराब स्वास्थ्य सेवाओं की बानगी है। कोरोना संक्रमण को लेकर डॉक्टर भले ही शिद्दत से अपनी ड्यूटी कर रहे हों, लेकिन व्यवस्थाएं लोगों की जान पर भारी पड़ रही हैं। यह गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा होने पर गणगौरी हॉस्पिटल पहुंची थी। यह अस्पताल कोरोना के लिए रिजर्व किया गया है। लिहाजा गर्भवती को वहां से दूसरे हॉस्पिटल जाने को बोल दिया गया। लेकिन एम्बुलेंस सुविधा न मिलने पर वो आधी रात पैदल ही दूसरे हॉस्पिटल को निकल पड़ी।

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गर्भवती करीब 6 किमी पैदल चलकर दूसरे हॉस्पिटल जा रही थी। इसी बीच सुबह 4 बजे चौड़ा रास्ता स्थित गोपालजी के रास्ते पर ड्यूटी कर रहे कांस्टेबल नरेंद्र निठरवाल ने उन्हें रोका। जब उन्हें पता चला कि गर्भवती हॉस्पिटल जा रही है, तो उन्होंने फौरन अपनी गाड़ी से उसे सांगानेरी गेट स्थित हॉस्पिटल पहुंचाया।

पति ने कहा कि कांस्टेबल की वजह से उसके यहां स्वस्थ्य बेटी हुई...
महिला के पति भैरूं ने बताया कि रविवार को रात 2 बजे पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर प्राइवेट एम्बुलेंस से गणगौरी हॉस्पिटल लाए थे। वहां जब भर्ती करने से मना किया गया, तो तीनों पैदल ही दूसरे हॉस्पिटल को निकल पड़े। हॉस्पिटल ने एम्बुलेंस का इंतजाम नहीं किया था। भैरूं ने कहा कि रास्ते में उनकी पत्नी की तबीयत बिगड़ रही थी। गनीमत रही कि पुलिस ने उनकी मदद की। इस बारे में गणगौरी हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. अजय माथुर ने कहा कि यह गंभीर मामला है। इस बारे में संबंधित ड्यूटी इंचार्ज से पूछा जा रहा है।

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