दौसा डॉक्टर सुसाइड मामला : किरकिरी के बाद जागी अशोक गहलोत सरकार, ताबड़तोड़ एक्शन लिए, एसपी को भी नाप दिया

सरकार के एक्शन के बाद ​​​​​धौलपुर एसपी शिवराज मीणा को CID मानवाधिकार जयपुर भेज दिया गया है। जबकि दौसा एसपी अनिल कुमार को सिविल राइट्स की कमान सौंप दी गई है। कार्मिक विभाग ने बुधवार देर रात यह आदेश जारी किया।

Asianet News Hindi | Published : Mar 31, 2022 3:55 AM IST

दौसा : राजस्थान (Rajasthan) के दौसा (Dausa) में महिला डॉक्टर सुसाइड केस में आखिरकार किरकिरी के बाद राजस्थान सरकार जाग गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने इस मामले में खुद हस्तक्षेप करते हुए एक्शन लिया है। बुधवार शाम मुख्यमंत्री आवास पर हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद एसपी को हटा दिया गया है। इसके साथ ही SHO को भी सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं, डिप्टी एसपी को लाइन हाजिर करने का आदेश है। इस मामले की जांच जयपुर संभागीय आयुक्त दिनेश कुमार यादव को सौंपी गई है।  इस मामले में पहले तो राज्य सरकार मौन थी लेकिन जैसे ही देशभर में इसका विरोध होने लगा तो खुद सीएम आगे आएं और उन्होंने कड़ी कार्रवाई की बात कही थी।

क्या है डॉक्टर सुसाइड मामला
डॉक्टर अर्चना शर्मा (42) और उनके पति डॉ. सुनीत उपाध्याय (45)  दौसा के लालसोट हॉस्पिटल में पदस्थ थे। खेमावास के रहने वाले लालूराम बैरवा अपनी पत्नी आशा देवी (22) की डिलीवरी के लिए सोमवार सुबह अस्पताल पहुंचे थे। दोपहर में डिलीवरी के दौरान पत्नी की मौत हो गई, जबकि बच्चा सुरक्षित है। महिला की मौत के बाद घरवालों ने मुआवजे की मांग को लेकर देर रात ढाई बजे तक अस्पताल के बाहर जमकर प्रदर्शन किया। घरवालों ने लालसोट थाने में महिला डॉक्टर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया था।

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दूसरे दिन फंदे से लटकी मिलीं डॉक्टर

बताया जा रहा है कि प्रसूता की मौत और उसके परिजनों के हंगामे के साथ केस दर्ज होने से डॉक्टर अर्चना शर्मा डिप्रेशन में आ गई थीं। मंगलवार सुबह 11 बजे वे फंदे से लटकी मिलीं। सुसाइड से पहले डॉक्टर अर्चना ने एक सुसाइड नोट भी लिखा है। सुसाइड नोट में खुद को निर्दोष बताया। जिसके बाद इसको लेकर राज्य सरकार निशाने पर आ गई। विपक्ष से लेकर डॉक्टर तक सभी विरोध में उतर आए। अब इस मामले में एक्शन लिया गया है और जयपुर संभागीय आयुक्त के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया गया है।

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सीएम ने जताया था दुख

जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो सीएम अशोक गहलोत ने दुख जताते हुए कहा कि हम सभी डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं। डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए अपना पूरा प्रयास करते हैं लेकिन कोई भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होते ही डॉक्टर पर आरोप लगाना कहीं से भी उचित नहीं है। अगर इस तरह डॉक्टरों को डराया जाएगा तो वे निश्चिन्त होकर अपना काम कैसे कर पाएंगे। उन्होंने पुलिस अफसरों को निर्देश दिए कि इस घटना में महिला डॉक्टर को सुसाइड के लिए मजबूर करने वालों पर मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करें। मुख्यमंत्री ने इस प्रकार की घटनाओं को रोकने व आवश्यक सुझाव देने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने के भी निर्देश दिए हैं।

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