काश हर अफसर ऐसा हो: कलेक्टर खुद गाड़ी चलाकर ड्राइवर को छोड़ने पहुंचे घर, ADM ने कहा-तुम हो आज के साहब!

एडीएम ओपी बिश्नोई ने कहा-मदन दास 40 साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मुझे भी उन्होंने डेढ़ साल से सेवा दी। वह एक कर्मठ निष्ठावान ड्राइवर हैं। जो  सुबह ड्यूटी से पहले 8 बजे घर पर आ जाते थे और रात होने तक ही अपने घर जाते थे। जब आज उनकी विदाई हुई तो मैं उनके लिए ड्राइवर बन गया।

Asianet News Hindi | Published : Feb 1, 2022 3:25 AM IST

बाडमेर (राजस्थान). कलेक्टर एक ऐसा अधिकारी होता है, जिसको देखते ही जिले के तमाम बड़े से बड़े अधिकारी सलाम ठोकते हैं। लेकिन राजस्थान के बाड़मेर से एक ऐसी दिल छू लेने वाला मामला सामने आया है, जिसे जान शायद आपकी आंखें नम हो जाएंगी। क्योंकि ड्राइवर के रिटायरमेंट के दिन अतिरिक्त जिला कलेक्टर खुद ड्राइवर बन गए। इतना ही नहीं उसे एक अधिकारी की तरह आगे वाली सीट पर बैठाकर एडीएम साहब पूरे सम्मान के साथ घर छोड़ने तक गए। 

यह दिन था उस कर्मठ निष्ठावान ड्राइवर की विदाई का
दरअसल, बाड़मेर जिले के रहने वाले मदन दास का सोमवार को रिटायरमेंट का आखिरी दिन था। उन्होंने 40 साल तक बड़े बड़े अधिकारियों के लिए ड्राइविंग की है। लेकिन जब ड्राइवर की नौकरी का लास्ट दिन उसे ऐसे विदाई दी गई तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। क्योंकि अतिरिक्त जिला कलेक्टर ओपी बिश्नोई ड्राइवर बनकर मदन दास को छोड़ने के लिए घर तक जो पहुंचे हुए थे। एडीएम साबह ने कहा यह दिन  कर्मठ निष्ठावान ड्राइवर की विदाई का है।

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ड्राइवर  ने रोते हुए कहा-लाखों की सैलरी से ज्यादा बड़ा यह पल
बता दें कि कलेक्टर साहब जब अपने ड्राइवर को अफसर बनकार घर पर छोड़ने गए तो यह हर कोई देखता रह गया। मदन दास ने रोते हुए कहा यह जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है, अब मुझे लग रहा है कि मैंने बहुत गर्व  से नौकरी की है। मेरी ड्राइवर की सेवा का आज जो फल मिला है उसे जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगा। यह प्रेम और सम्मान मेरे लिए लाखों रुपए के वेतन से कहीं ज्यादा है।

कलेक्टर ने कहा-मैं अपने आप को ड्राइवर बनने से नहीं रोक पाया
वहीं एडीएम ओपी बिश्नोई ने कहा-मदन दास 40 साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मुझे भी उन्होंने डेढ़ साल से सेवा दी। वह एक कर्मठ निष्ठावान ड्राइवर हैं। जो  सुबह ड्यूटी से पहले 8 बजे घर पर आ जाते थे और रात होने तक ही अपने घर जाते थे। इतना ही नहीं कई बार इमरजेंसी में तो वह पूरी रात गाड़ी चलाते रहे हैं। लेकिन उनको कभी भी मैंने निराश नहीं देखा। इसीलिए जब आज उनकी विदाई हुई तो मैं उनके लिए ड्राइवर बन गया।

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