कंगना रनौत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनके खिलाफ राजस्थान के चार जिलों में शिकायतें की गई हैं। जयपुर कोतवाली और जोधपुर के शास्त्रीनगर थाने में मुकदमा दर्ज भी हो गया है, जबकि उदयपुर के सुखेर थाने और चूरू कोतवाली की पुलिस शिकायतों की जांच कर रही है।
जयपुर : 1947 में मिली आजादी भीख थी, वाले बयान को लेकर बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनके खिलाफ राजस्थान (rajsthan) के चार जिलों में शिकायतें की गई हैं। जयपुर कोतवाली और जोधपुर के शास्त्रीनगर थाने में मुकदमा दर्ज भी हो गया है, जबकि उदयपुर के सुखेर थाने और चूरू कोतवाली की पुलिस शिकायतों की जांच कर रही है। कांग्रेस (Congress) विधायक मनीषा पवार ने कंगना के खिलाफ शास्त्री नगर थाने में परिवाद पेश किया है। शास्त्री नगर पुलिस थाना अधिकारी पंकज माथुर को विधायक मनीषा ने परिवाद सौंपा है।
महिला कांग्रेस ने की शिकायत
जयपुर में शहर महिला कांग्रेस ने कोतवाली थाने में कंगना रनौत के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। इसमें आजादी के लिए शहीद हुए क्रांतिकारियों की प्रतिष्ठा का अपमान करने, संविधान के प्रति आस्था रखने वालों को आहत करने का आरोप लगाया गया है। महिला मोर्चा की अध्यक्ष रानी लुबाना ने शिकायत में बताया कि 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ और उस आजादी के लिए हजारों लोगों ने अपना बलिदान दिया। वो पल आजाद भारतीय के लिए गौरवान्वित क्षण था। पूरी दुनिया ने भारत की आजादी देखी और शहीदों को आज भी सम्मान की नजर से देखता है।
कंगना का बयान, शहीदों का अपमान
महिला कांग्रेस का कहना है कि कंगना ने सार्वजनिक मंच से आजादी पर इस तरह का बयान देकर संविधान के प्रति आस्था रखने वालों को चोट पहुंचाया है। इस बयान से शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी समेत तमाम शहीदों और क्रांतिकारियों का अपमान किया गया है। उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।
सियासी दलों के निशाने पर कंगना
कंगना के इस बयान को लेकर महाराष्ट्र, बिहार, यूपी समेत देशभर में बवाल हो रहा है। कंगना अब सियासी दलों के साथ ही सामाजिक कार्यकताओं और बॉलीवुड से जुड़े कई लोगों के निशाने पर हैं। सोशल मीडिया पर भी उनके इन बयानों पर लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है। कई नेताओं ने तो उनके पद्मश्री सम्मान को वापस लेने तक की मांग की है।
कंगना ने क्या कहा था?
एक राष्ट्रीय मीडिया नेटवर्क के वार्षिक शिखर समिट में कंगना गेस्ट स्पीकर थीं। इस दौरान उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में सावरकर, लक्ष्मीबाई और नेताजी बोस को याद करते हुए कहा कि ये लोग जानते थे कि खून बहेगा, लेकिन यह हिंदुस्तानी खून नहीं होना चाहिए। वे इसे जानते थे। बेशक, उन्हें एक पुरस्कार दिया जाना चाहिए। वह आजादी नहीं थी, वो भीख थी। हमें 2014 में असली आजादी मिली है। उनके इस बयान को लेकर राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों, लेखकों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। इसे तमाम लोगो ने आजादी के आंदोलन और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया है।
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