कोटा के हॉस्पिटल में 24 घंटे में 9 बच्चों की मौत, प्रशासन में हड़कंप. शव गोद में रख बिलख रहे मां-बाप

बुधवार को 5 मासूमों की मौत हो हुई थी, वहीं आज गुरुवार को 24 घंटे के भीतर चार नवजातों ने और दम तोड़ दिया है। घटना की जानकारी मिलते ही कलेक्टर खुद मौके पर पहुंचे हैं।

कोटा (राजस्थान). कोटा का जेके लोन अस्पताल एक बार फिर चर्चा में आ गया है। यहां 24 घंटों के अंदर 9 नवजात बच्चों की मौत हो गई। इस खबर के बाद दे जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है। कलेक्टर ने खुद अस्पताल अधीक्षक से पूरे मामले को लेकर रिपोर्ट मांगी है। बता दें कि पिछली साल भी यह हॉस्पिटल सुर्खियों में आया था, जब एक महीने के भीतर 100 से ज्यादा मासूमों की मौत हुई थी।

अस्पताल में लग रही नेताओं की भीड़
दरअसल, बुधवार को 5 मासूमों की मौत हो हुई थी, वहीं आज गुरुवार को 24 घंटे के भीतर चार नवजातों ने और दम तोड़ दिया है। घटना की जानकारी मिलते ही कलेक्टर ने खुद मौके पर पहुंचे मामले की जानकारी ली। इसके अलावा स्थानीय विधायक के साथ अन्य कई नेता वहां पहुंचे हैं।

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(बच्चों की मौत के बाद मामला जानने के लिए कलेक्टर और कमिश्नर अस्पताल पहुंचे।)

1 से 7 दिन थी मासूमों की उम्र
बता दें कि जितने बच्चों की मौत हुई है वह 1 से 7 दिन के बीच थे। बच्चों के परिजनों ने अपने मासूमों की मौत के पीछे अस्पताल के स्टाफ और डॉक्टर लापरवाही बताई है। उनका कहना है कि यहां हमारे बच्चे दर्द से तड़पते रहते हैं, लेकिन कोई इलाज तो दूर देखने के लिए भी नहीं आता है। आनन-फानन में कुछ बच्चों को अस्पताल प्रबंधन ने बूंदी रैफर किया है। नवजात के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में नवजात की पूरी केयर नहीं की जा रही है। यहां पर लापरवाही बरती जाती है। 

हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने दी यह सफाई
अस्पताल अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा ने बताया कि इनमें से तीन बच्चों को जन्मजात बीमारी थी, हमने उनको बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन, फिर भी वह नहीं बच पाए। जबकि 2 बच्चे सेप्टिक शॉक (इंफेक्शन) था। इसलिए उन्होंने दम तोड़ दिया। बाकी बच्चों को बूंदी रैफर किया गया है। उन्होंने बताया कि एक माह में 60 से 100 बच्चों की औसत मौत होती है। जिसका प्रतिदिन का आंकड़ा  2 से 5 के बीच होता है। लेकिन यह ज्यादा है, हम इसकी जांच कर रहे हैं।

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