कैसे तैयार होती है मोती...सीकर के युवा किसान मोती की खेती से सालभर में कमा रहे करोड़ों रुपए

एक कुंडी से मोती की खेती से शुरु कर अब इसको इतना बड़ा बना दिया है कि फार्म हाऊस बनाकर किया जा रहा है काम साथ ही हो रहीं है करोड़ों की कमाई।इनकम करने के साथ किसान विनोद भारती देशभर के युवाओं को इस खेती का प्रशिक्षण भी दे रहे है।

सीकर. राजस्थान के सीकर जिले की दांतारामगढ़ तहसील के बाय गांव के एक प्रगतिशील युवा किसान विनोद भारती ने यह साबित कर दिखाया है कि जज्बा व जूनून  आपकी जीत तय कर देता है। इस किसान ने सात साल पहले घर में सीमेंट की छोटी सी कुंडी से मोती उत्पादन शुरू किया था। लेकिन, ये काम इतने मन व मेहनत से किया कि आज वह बड़े फार्म हाउस में एक करोड़ रुपये तक के व्यवसाय के मुकाम पर पहुंच गया है। जहां देशभर के युवा भी मोती की खेती का प्रशिक्षण लेने आ रहे हैं। खास बात ये भी है कि घर से फार्म हाउस तक की खेती का ये सफर विनोद ने कोरोना काल में उस समय तय किया जब लोग लॉकडाउन के कठिन दौर से गुजर रहे थे।

500 में से 455 सीप मरी, फिर भी हिम्मत नहीं हारी
विनोद भारती ने बताया कि मोती की खेती उसने सात साल पहले केरल से 500 सीप लाकर सीमेंट की कुंडी में शुरू की थी। जिनमें से 455 सीप मर गई। लेकिन, उसने हार नहीं मानी। काम को जारी रखा और अब 25 लाख की कीमत के नए फार्म हाऊस पर मोती पालन केन्द्र स्थापित कर उसमें तीन बड़े पोंड में 25 हजार सीप तक अपने कारोबार को बढ़ा लिया। विनोद के अनुसार उनको मोती उत्पादन से इस साल एक करोड़ रुपए की आय का अनुमान है।

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देशभर के युवा ले रहे प्रशिक्षण

किसान विनोद मोती की खेती का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। देशभर के पचास से ज्यादा युवाओं को वे अब तक मोती की खेती का प्रशिक्षण दे चुके हैं। विनोद ने बताया कि प्रदेश के उदयपुर, कोटपूतली, राजसमंद, मेड़ता, जौधपुर, जयपुर के अलावा उत्तर प्रदेश, तेलंगाना सहित कई राज्यों से किसान उनके पास आकर मोती की खेती के टिप्स सीख चुके हैं।

ऐसे तैयार होता है मोती

विनोद ने बताया कि मोती तैयार होने में एक साल का समय लगता है। इसके लिए दक्षिण भारत से सीप लाकर उसे दस दिन के लिए पानी में रख स्थानीय वातावरण में ढालते हैं। इसके बाद उसमें आवश्यक्तानुसार बीजारोपण कर छोड़ देते है। 5 दिन देखरेख के बाद सीप में गोलाकार, अद्र्धगोलाकार व अन्य आकार के मोती बनाने के लिए सर्जरी कर उसमें दवाई देकर छोटे पोण्ड में रख दिया जाता है। उसके बाद सीप को सीमेंट के टेंक में डालकर सपलीमेंट्री फूड (खाना) दिया जाता है। रोजाना की देखरेख व बीमार सीपों का ईलाज करते रहने के बाद एक से डेढ साल के बाद में मोती उत्पाद होता है। जिसकी कटाई, छटाई व ग्रेडिंग के बाद उन्हें बाजार में बेचा जाता है। विनोद ने बताया कि सरकार को ग्रांट देकर प्रदेश में मोती की खेती को बढ़ावा देना चाहिए।

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