धरी रह गई नेतागिरी...B.A जैसी परीक्षाओं में ही फेल हो गए छात्र नेता... 1 महीने भी पद पर नहीं रह सके

राजस्थान में पिछले महीने अगस्त में 2 साल के बाद  छात्र संघ चुनाव हुए थे। जिन पर सभी पार्टियों ने करोड़ों रुपए खर्ज किया था। लेकिन राजस्थान विश्वविद्यालय के सबसे बड़े लॉ कॉलेज के उपाध्यक्ष अपनी लॉ परीक्षा में फेल हो गए अब उनकी कुर्सी पूरे साल खाली रहने वाली है ।

 जयपुर. राजस्थान में 2 साल के बाद 26 अगस्त को छात्र संघ चुनाव हुए।  छात्र नेताओं ने पानी की तरह पैसा बहाया।  जो नहीं जीत सके वह इल्जाम लगाते लगाते शांत हो गए और जो जीत गए उनमें से कुछ एक महीना भी नेतागिरी नहीं कर सके।  राजस्थान के सबसे बड़े लॉ कॉलेज राजस्थान विश्वविद्यालय में स्थित लॉ कॉलेज के छात्र संघ पैनल में उपाध्यक्ष  फेल हो गए । उसके बाद अब चित्तौड़ से बीए जैसी परीक्षा में छात्र नेताओं के फेल होने की खबर सामने आई है । एक साथ दो छात्र नेताओं के फेल होने के बाद अब उनकी कुर्सी पूरे साल खाली रहने वाली है । दोनों छात्र नेता एनएसयूआई से है।

 पूरे साल खाली रहेगी उपाध्यक्ष की कुर्सी
 दरअसल चित्तौड़ के बड़ी सादड़ी इलाके में स्थित राजकीय कॉलेज का यह पूरा घटनाक्रम है । 26 अगस्त को हुए चुनाव परिणाम में चुनिंदा कॉलेजों में से एक यह कॉलेज है जिसमें एनएसयूआई का पूरा पैनल बना था । अब हालात यह है कि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष ,महासचिव और संयुक्त सचिव 4 पदों में से 2 पद खाली हो गए हैं । उपाध्यक्ष पद पर जीती सुमन फेल हो गई । उनका परिणाम कल ही सामने आया।  पता चला कि वह बीए प्रथम वर्ष जैसी परीक्षा ही पास नहीं कर सकी । इससे कुछ दिन पहले महासचिव के पद पर तैनात चमनलाल भी फेल हो गए थे। 

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10 दिन के अंदर दो छात्र नेता  हो गए फेल
 इससे पहले इसी महीने 5 सितंबर को राजस्थान कॉलेज में उपाध्यक्ष रोहित चौधरी का भी परिणाम आया था।  वह भी  b.a. प्रथम वर्ष की परीक्षा में फेल हो गए थे । उससे 10 दिन बाद लॉ कॉलेज में उपाध्यक्ष पद पर जीते छात्र नेता का परिणाम भी आया था । वह लॉ के प्रथम वर्ष में ही फेल हो गए । छात्र नेताओं के इस तरह फेल होने के बारे में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का कहना है कि चुनाव के लिए जिम्मेदार लिंगदोह कमेटी की सिफारिश के अनुसार ही अब फेल हो चुके छात्र अपनी कुर्सी गवा देंगे। उनकी कुर्सी पूरे साल खाली रहेगी । 

छात्र संघ चुनाव में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिया...लेकिन कोई काम के नहीं
गौरतलब है कि लिंगदोह कमेटी के अनुसार चुनाव पर एक प्रत्याशी सिर्फ ₹5000 ही खर्च कर सकता है।  लेकिन 2 साल के बाद हुए छात्र संघ चुनाव में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिया गया। बहुत से छात्र नेताओं ने अभी तक भी अपने खर्च का हिसाब विश्वविद्यालय प्रशासन को नहीं भेजा है ,जबकि यह चुनाव होने के 15 दिन के अंदर जमा कराना जरूरी होता है।
 

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