कोरोनावायरस का डर: घबराकर गलत ट्रेन में चढ़ गई मां-बेटी, फिर जो सहा..उसने रुला दिया

कोरोनावायरस को हराने भीड़ से बचने की सलाह दी जा रही है, लेकिन अफवाहों के चलते लोग मदद से भी पीछे हट रहे हैं। इस महिला को भी मदद की जरूरत थी, लेकिन सबने मुंह मोड़ लिया।

Asianet News Hindi | Published : Mar 24, 2020 4:03 AM IST

जयपुर, राजस्थान. कोरोनावायरस का डर लोगों में इस कदर बैठ गया है कि अब लोग रिश्ते-नातों से भी मुंह मोड़ने लगे हैं। जबकि जरूरत सिर्फ भीड़ का हिस्सा न बनने की है। ऐसे ही एक मामले में यहां एक महिला को जरूरत पड़ने पर मदद नहीं मिली। वो अपने मायके नागपुर से पटना के लिए निकली थी। लेकिन गलत ट्रेन में बैठ गई। वो जयपुर में उतरी और कुछ रिश्तेदारों से मदद मांगी, लेकिन सबने बहाने बना दिया। खुद को असहाय पाकर महिला रोने लगी। इस बीच रेलवे को खबर मिली और उसकी मदद की।

उल्लेखनीय है कि दुनिया के सभी 195 देश कोरोनावायरस की चपेट में हैं। कोरोनावायरस अब तक 16,510 लोगों की जान ले चुका है। 3 लाख 78 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। हालांकि अच्छी खबर यह है कि इसमें से 1 लाख से ज्यादा मरीज स्वस्थ्य हो चुके हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद(ICMR) के मुताबिक, भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 471 है।

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जयपुर पहुंचकर गलती का पता चला
यह हैं पटना निवासी अस्मिता। ये अपनी 4 साल की बेटी के साथ नागपुर मायके गई थीं। शनिवार को उनके पति उमेश ने कॉल करके बताया कि अप्रैल की शुरुआत में उसका इंटरव्यू है। अस्मिता ने किसी जॉब के लिए अप्लाई किया है। इसके बाद अस्मिता ने बागमति एक्सप्रेस से नागपुर से पटना तक स्लीपर कोच में टिकट बुक कराया। रविवार शाम वे स्टेशन पहुंचीं। लेकिन गलती से मैसूर-जयपुर एक्सप्रेस में चढ़ गईं। अस्मिता टिकट में अलॉट बर्थ पर जाकर सो गईं। चूंकि कोच में न के बराबर यात्री थे, इसलिए वो सीट खाली थी। सुबह तक कोई भी टीटीई कोच में चेकिंग को नहीं आया। सोमवार सुबह जब अस्मिता की नींद खुली, तो खुद का जयपुर में पाकर घबरा गईं। उन्होंने वहां ड्यूटी दे रहीं आरपीएफ हेड कांस्टेबल ममता से पूछा, तब मालूम चला कि वे गलत ट्रेन में चढ़ गई थी। 

रिश्तेदारों ने बना दिए बहाने..
अस्मिता के जयपुर और कोटा में रिश्तेदार रहते हैं। उन्होंने कॉल करके मदद मांगी, लेकिन सबने कोई न कोई बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लिया। इससे अस्मिता घबराकर रोने लगीं। तब स्टेशन सुपरिंटेंडेंट डीएल तनेजा और आरपीएफ ने उनकी मदद की। उन्हें स्टेशन के रेस्ट रूम में ठहराया। खाने-पीने का इंतजाम किया। अब अस्मिता का भाई उसे लेने नागपुर से जयपुर के लिए निकला है।

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