
अलवर, राजस्थान. अलवर के कुमपुर गांव में शराब के ठेके पर काम करने वाले एक सेल्समैन को सैलरी मांगने पर जिंदा जलाने ( Burned alive) का मामला सामने आया है। घटना शनिवार शाम की बताई जाती है, लेकिन यह अब मीडिया में चर्चा में आई है। घटना का पता रविवार को चला। शुरुआती जांच में सामने आया है कि 23 वर्षीय कमल किशोर कुमपुर-भगेरी मोड़ पर एक कंटेनर में चल रहे शराब ठेके पर सेल्समैन था। थानाधिकारी दारा सिंह ने बताया कि कमल के भाई झाड़का निवासी रमेशचंद ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इसमें कहा गया कि कमल राकेश यादव और सुभाषचंद के ठेके पर काम करता था। उसे 5 महीने से सैलरी नहीं दी गई थी। जब उसने अपना पैसा मांगा, तो कहासुनी के बाद उसे जिंदा जला दिया गया। इस घटना से दलितों में आक्रोश फैल गया है। मामले की गंभीरता को समझते हुए गांव में पुलिस तैनात की गई है। आरोपी ठेकेदार फरार हैं।
सेलरी मांगने पर मारपीट की धमकी दी जाती थी..
शिकायत में कहा गया कि मृतक को सैलरी मांगने पर अकसर मारपीट की धमकी दी जाती थी। शनिवार को ठेकेदार उसके घर आए और अपने साथ ले गए। रात में कंटेनर में आग लगी। रविवार को घटना पता चली। जब परिजन मौके पर पहुंचे, तो कमल का जला हुआ शव डीप फ्रीजर में पड़ा था। आरोप है कि उसे पेट्रोल डालकर जिंदा जलाया गया। इसके बाद इसे एक हादसा बताने कंटेनर को आग लगा दी गई। पुलिस ने दोनों ठेकेदारों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। इस मामले में आबकारी विभाग की लापरवाही भी सामने आई है। नियमानुसार वहां सीसीटीवी कैमरा होना चाहिए था। मृतक के परिजन इस मामले की न्यायिक जांच चाहते हैं। डीएसपी ताराचंद ने भी माना कि मामला संदिग्ध है।
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यह मामला करीब 18 दिन पहले राजस्थान के ही करौली में सामने आया था। मंदिर पर कब्जा करने से रोकने पर कुछ लोगों ने इस पुजारी को पेट्रोल डालकर जला दिया था। पहले प्रशासन इसे सुसाइड का मामला बताती रही। लेकिन जब मामले ने तूल पकड़ा, तो पुलिस सक्रिय हुई और एक आरोपी कैलाश मीणा को गिरफ्तार कर लिया। मामला जिले के सपोटरा इलाके का है। मरने से पहले पुजारी बाबूलाल वैष्णव ने घटना के बारे में बताया था।
पुजारी ने बयान दिया था कि कैलाश मीणा अपने लोगों शंकर, नमो, किशन और रामलखन के साथ मंदिर के बाड़े पर कब्जा करके छप्पर लगा रहा था। इसका विरोध करने पर उसने पेट्रोल डालकर आग लगा दी। पुजारी बाबूलाल ने बताया था कि उसका परिवार मंदिर की 15 बीघा जमीन पर खेतीबाड़ी करके अपना गुजारा करता था। इस मामले ने सरकार की किरकिरी करा दी थी। पुजारी के परिजनों के समर्थन में गांव में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए थे। इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था।
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