
जयपुर. राजधानी जयपुर में शनिवार सुबह उस वक्त सनसनी फैल गई, जब एक साथ पांच शव मिले। इलाके लोगों से लेकर पुलिस-प्रशासन तक हड़कंप मच गया। पुलिस ने शवो को निकालकर डेडबॉडी की पहचान कर ली। मृतकों में तीन सगी बहने कालू देवी, ममता देवी और कमलेश शामिल हैं। वहीं दो बच्चे हैं जो एक 4 साल का मासूम हर्षित तो दूसरा महज 26 दिन का नवजात था। दुखद बात यह है कि दो बच्चों की मौत तो महिलाओं की कोख में हो गई। क्योंकि जो महिलाएं मरी हैं उनमें से दो 8 और 9 माह की गर्भवती थीं।
बेबस होकर जिंदगी खत्म करने का लिया फैसला
तीनों महिलाओं के दो बच्चों के साथ कुएं में कूदकर आत्महत्या करने की खबर मिलते ही पूरे गांव में मातम का माहौल है। वहीं शुरूआती जांच में सामने आया है कि यह महिलाएं अपने ससुराल पक्ष से मारपीट और दहेज से प्रताड़ित थीं। तीनों सगी बहने काफी लंबे समय से तनाव में चल रही थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि आखिर में बेबस होकर तीनों ने एक साथ जिंदगी खत्म करने का फैसला कर लिया होगा।
एक ही घर में ब्याही थी तीनों सगी बहने
मृतकों के एक रिश्तेदार हेमराज मीणा ने बताया कि तीनों सगी बहनों की शादी एक ही घर में की गई थी।ससुराल में सास, जेठानी और तीनों महिलाओं के पति काफी प्रताड़ित किया करते थे। तीनों सगी बहनों के साथ उनके पतियों द्वारा मारपीट की जाती थी। इतना ही नहीं करीब 10 दिन पहले तीनों बहनों को ससुराल पक्ष वालों ने मारपीट व प्रताड़ित कर घर से बाहर निकाल दिया था। जिस पर तीनों सगी बहनों को उनके परिजन मायके ले गए।
ससुरावालों ने नरक बना दी थी तीनों बहनों की जिंदगी
मृतक महिलाओं को परिजनों ने बताया कि जिस वक्त तीनों बेटियां मायके आईं उस दौरान तीनों के शरीर पर मारपीट के निशान भी थे।कालू देवी के सिर और आंख पर चोट भी लगी थी, जिसे इलाज के लिए अस्पताल में भी भर्ती करवाया गया था। तीनों सगी बहनों के परिजनों ने कई बार ससुराल पक्ष वालों से समझाइश की और हाथ जोड़कर निवेदन भी किया। लेकिन उसके बावजूद भी उनका अत्याचार कम होने की बजाय बढ़ता चला गया।
पुलिस पर भी लगे कई गंभीर आरोप
रिश्तेदार हेमराज मीणा का कहना है कि सगी बहनों के साथ घर से लापता होने पर जब परिजन थाने पहुंचे। लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज ही नहीं की। किसी तरह ग्रामीणों का विरोध देखकर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर ली लेकिन 24 घंटे तक पुलिस ने कोई भी एक्शन नहीं लिया। अगर मामले की जांच की जाती तो आज वह जिंदा होती। जब रिश्तेदारों ने पुलिस के आला अधिकारी और महिला आयोग में शिकायत की तो स्थानीय विधायक ने परिजनों पर ही दबाव बनाना शुरू कर दिया।
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