
सीकर. आर्य प्रतिनिधी सभा राजस्थान में अवैध रूप से प्रधान पद पर रहकर धोखाधड़ी करने के जयपुर में दर्ज मुकदमे के बाद सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता की। सांसद कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि आर्य प्रतिनिधी सभा के प्रधान पद पर वह वैध रूप से कार्य कर रहे हैं। दिसंबर में हुए चुनाव में उन्हीं का निर्वाचन प्रधान पद पर हुआ था। जिससे एकबार उन्होंने जरूर त्यापत्र दिया, लेकिन लोगों की मांग पर उन्होंने उसे वापस ले लिया था। जिसका जनरल बॉडी की बैठक में अनुमोदन भी हो गया। ऐसे में वे अब भी सभा के निर्वाचित प्रधान ही हैं और इसी नाते इस पद पर काम करते हुए संस्था के लेटर हैड का प्रयोग कर रहे हैं।
बर्खास्त मंत्री ने कराया मुकदमा
सांसद ने कहा कि जिस जीववर्धन ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है वह सभा के मंत्री पद से बर्खास्त किया जा चुका है। उसके साथ अवैध रूप से बनाए गए प्रधान किशन गहलोत व आनंद मोहन को भी निलंबित किया जा चुका है। इसी दर्द की वजह से उन्होंने त्याग पत्र के बाद भी काम करने का झूठा आरोप लगाते हुए धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।
घृणित व्यवसाय करने का किया विरोध
सांसद सुमेधानंद ने कहा कि आर्य प्रतिनिधी सभा में शादियां घृणित व्यवसाय के रूप में करवाई जाने लगी थी। एक गोत्र तक में शादियां करवाई जा रही थी। घर से भागने वाले युवक- युवतियां भी सभा का दुरुपयोग कर रहे थे। ऐसे में उन्होंने ऐसी शादियों पर रोक लगा दी थी। जिसके चलते ही कुछ लोग उनसे नाराज हो गए थे। जिसके चलते उन्होंने एकबारगी त्यागपत्र दे दिया था। पर मार्च में दिया त्याग पत्र मई महीने में ही वापस ले लिया था। जिसके बाद से वे ही प्रधान पद पर कार्यरत हैं।
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