कारगिल वॉर का हीरो: गोली शरीर के आरपार..फिर भी दुश्मनों से लड़ता रहा राजस्थान का ये जवान, जख्म देख रो पड़ते

26 जुलाई को पूरा देश आज विजय दिवस मना रहा है। भारत- पाक के बीच हुए कारगिल युद्ध को 23 साल हो गए हैं। इस भीषण जंग में भारत के कई वीर जवान दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। सीकर के एक जवान ऐसे भी अभी मौजूद हैं जो गोली लगने के बाद भी दुश्मनों से लड़ते रहे।

जोधपुर (राजस्थान). आज भारत देश 23वां कारगिल दिवस मना रहा है। कारगिल की लड़ाई लड़ने वाले शहीदों को याद किया जा रहा है। 2 महीने तक चली इस लड़ाई में देश ने 500 से ज्यादा सैनिक खो दिए। लेकिन इस लड़ाई के कई वीर योद्धा आज भी हमारे बीच है। जिनके शरीर पर उस लड़ाई के निशान है। ऐसे ही एक वीर जवान हैं सीकर के जयराम सिंह जो पैर अपने पैर का जख्म और युद्ध का वो भयावह मंजर देख आज भी आंखें नम हो जाती हैं।

इस जवान ने दो पोस्ट पर कब्जा कायम किया और पहराया था तिरंगा 
जयराम सिंह महज 19 साल की उम्र में ही सेना में भर्ती हो गए थे। 2 साल बाद ही कारगिल की लड़ाई छिड़ गई। अब तक वे पूरी तरह से तैयार भी नहीं हो पाए। इसी बीच अधिकारियों ने उनकी पूरी बटालियन को पाकिस्तानियों को खरीदने के लिए भेज दिया। 2 राजपूताना राइफल्स के जवान जय राम सिंह अपने साथियों के साथ 12 जून को जैसे तैसे तोलोलिंग चोटी पर पहुंच गए। जहां करीब रात 8:00 बजे से सुबह 6 बजे तक लड़ाई चली। भारतीय सेना के करीब आधा दर्जन जवान शहीद हो गए। इतने ही पाकिस्तानी सैनिक भी मारे जा चुके थे। लेकिन जयराम और उनके साथियों ने इस पोस्ट पर अपना वापस कब्जा कायम किया और तिरंगा फहरा दिया। 

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पैर में लगी गोली फिर भी दुश्मनों से लड़ता रहा जवान...यह नजारा देख अफसर थे स्तब्ध
अब तैयारी दूसरे हमले की थी। जिसके लिए जय राम अपने साथियों के साथ करीब 13 दिन तक रोज अभ्यास करते रहे। 27 जून को करीब दो दर्जन से ज्यादा जवान जय राम के साथ ब्लैक रॉक पहुंच गए। पूरे दिन यहां पर रैकी की। रात्रि 8:00 बजे चोटी की चढ़ाई शुरू कर दी। इसी बीच पाकिस्तानियों को भनक लग गई थी कि भारतीय सेना यहां आ चुकी है। दोनों जवानों के बीच जबरदस्त फायरिंग हो चुकी थी। एक गोली जयराम के पैर में लग गई। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। और लगातार चोटी पर चढ़ाई करें 6 पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतार दिया। इसी बीच जयराम के मोटीवेटर और अधिकारी उनकी आंखों के सामने गोली लगकर नीचे गिर गए। एक बार कुछ क्षणों के लिए इस नजारे को देख जयराम स्तब्ध रह गए। लेकिन रात करीब 1:30 बजे यह पोस्ट भी भारतीय सेना ने अपने कब्जे में ले ली। 29 जून की सुबह रेस्क्यू टीम वहां पहुंच गई। जो जय राम और उनके साथियों को बेस कैंप ले गई।

अब सीकर में लड़ रहे हैं इलीगल माइनिंग के खिलाफ लड़ाई 
जयराम 2012 में सेना से रिटायर हो चुके हैं। पहले जहां जयराम अपना शौर्य देश की सेना में दिखा रहे थे। वह रिटायर होने के बाद अब पिछले करीब 10 से 12 साल से अपने इलाके में हो रही इलीगल माइनिंग के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। जयराम बताते हैं कि आज भी उनके पैर में लगी गोली का निशान उन्हें उससे लड़ाई की याद दिलाता है।

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