
सीकर. 2 साल के लंबे इंतजार के बाद आज पूरा देश बिना कोई पाबंदियों के दिवाली का त्यौहार मना रहा है। हिंदू ग्रंथ में मान्यता है कि आज ही के दिन भगवान राम वनवास से लौटे थे। तब दीपक जला कर उनका स्वागत किया गया था। यूं तो हमने भगवान राम और सीता के कई किस्से सुने होंगे लेकिन राजस्थान में एक मंदिर ऐसा भी है जहां मंदिर का नामकरण मां सीता के साक्षात दर्शन के बाद हुआ था। मंदिर के संत को मां सीता ने साक्षात दर्शन दिए थे।
माता सीता ने दिए थे साक्षात दर्शन
यह मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के नजदीक रेवासा में है। संत अग्रदेवचार्य ने इसकी स्थापना करवाई थी। संत हमेशा केवल दूध और पानी पीकर भगवान राम और सीता का नाम जपते रहते थे। मां सीता भी इतनी खुश थी कि एक बार जब सभी के अपने बगीचे में ठाकुर जी को चढ़ाने के लिए फूल तोड़ रहा था तो उसे घुंगरू बजने की आवाज सुनाई दी। जब संत ने पीछे मुड़कर देखा तो उसे मां सीता ने साक्षात दर्शन दिए। इसके बाद मंदिर का नाम जानकीनाथ रखा गया। इसके साथ ही हिंदू ग्रंथ भक्तमाल की रचना भी इसी मंदिर में हुई है।
23 सालों से जारी है राम नाम धुन
मंदिर के महंत राघवाचार्य जी बताते हैं कि 1999 से शुरू हुए अखंड रामधुनी आज भी जारी है। कोरोनाकाल जैसे समय में भी यह अखंड रामधुनी लगातार चलती रही। पहले तो जहां 12 लोग अखंड रामधुनी को अलग-अलग शिफ्ट में करते थे। अब केवल 8 फीट है जो 3 घंटे की शिफ्ट में यह काम करते हैं। इसके साथ ही यहां एक वेद विद्यालय भी संचालित हो रहा है। जिसमें करीब 70 से ज्यादा बच्चे वेद विद्या सीख रहे हैं यह कोर्स 7 साल का होता है।
राघवाचार्य ने बताया कि जयपुर के एक बड़े कपड़ा व्यापारी नागरमल अग्रवाल रेवासा धाम पीठ के भक्त थे। जब 1999 में वह दर्शन करने के लिए यहां आए तब उन्होंने विचार किया कि क्यों ना मंदिर में अखंड राम धुन का जाप होना चाहिए। जिससे कि पर्यावरण में भी भगवान राम का नाम चलता रहे। किसी दिन से अखंड रामधुन की शुरुआत हो चुकी है।
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