जहां खेला जा रहा है फीफा वर्ल्ड कप, वहां की महिलाएं ताउम्र रहती हैं 'नाबालिग'

कतर में इन दिनों फीफा वर्ल्ड कप चल रहा है। इसलिए यहां की संस्कृति चर्चा में है। इस्लामिक मुल्क में महिलाओं को ना तो बोल्ड कपड़े पहनने की आजादी है और ना ही अपने मन से कोई काम करने की छूट। यहां कि महिलाओं को  ' पुरुष गार्जियन ' के अंडर रहना होता है। इनकी लिखित मंजूरी के बिना वो कोई भी काम नहीं कर सकती हैं।

रिलेशनशिप डेस्क.कतर (qatar) पर इन दिनों पूरी दुनिया की नजर है। यहां पर फीफा वर्ल्ड कप (fifa world cup 2022) चल रहा है। यहां पर पश्चिमी टूरिस्टों और स्थानीय लोगों के बीच का अंतर आसानी से देखा जा सकता है। खासकर महिलाओं में तो अंतर बड़े अच्छे से समझ सकते हैं। यहां की महिलाएं जहां काले बुर्के में ऊपर से नीचे तक ढंकी नजर आएंगी तो कुछ रंग-बिरंगे हिजाब पहने दिखाई देंगी। इस्लामिक मुल्क में महिलाओं को बिना हिजाब के रहने की मनाही है, वेस्टन ड्रेस पहनना तो दूर की बात है।

कतर की महिलाएं नहीं ले सकती खुद अहम फैसला

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बात सिर्फ कपड़ों की नहीं, बल्कि इनके अधिकार की भी है। यहां की महिलाओं को एक ऐसी व्यवस्था के तहत रहना पड़ता है जिसे हमारे यहां नाबालिग बच्चियों को रखा जाता है। इस व्यवस्था के लिहाज से देखें तो यहां की महिलाएं ताउम्र एक नाबालिग की तरह ही रहती हैं। जिन्हें कुछ भी करने के लिए गार्जिनय से लिखित मंजूरी लेनी पड़ती है। इस व्यवस्था के तहत महिलाएं रहती हैं उसे पुरुषों की गार्जियनशिप कहते हैं।

पुरुष गार्जियन से लेने होती है लिखित अनुमति

यहां की महिलाओं का अपनी जिंदगी के हर जरूरी और अहम फैसले के लिए पुरुष गार्जियन की लिखित अनुमति लेना अनिवार्य होता है। अगर आपके पास ये अनुमति नहीं है तो आप फैसला नहीं ले सकते हैं। कॉलेज में एडमिशन लेना हो, विदेश में पढ़ने जाना हो, शादी करनी हो या फिर तलाक लेना हो, गार्जियन की लिखित अनुमति के बिना महिलाएं कुछ नहीं कर सकती हैं।

पिता के अलावा भाई या पति हो सकता है गार्जियन 

हालांकि पुरुष गार्जियन का सिद्धांत कानूनी नहीं, बल्कि एक पारिवारिक व्यवस्था है। कई परिवार जो पढ़ लिख गए और आधुनिक सोच रखते हैं वो इस नियम को कड़ाई से पालन नहीं करते। लेकिन जो आज भी रूढ़िवादी है वो इस व्यवस्था को बदसतूर जारी रखे हुए हैं।मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) साल 2019 में कतर की कई महिलाओं की आपबीती को प्रकाशित किया था। इस रिपोर्ट में HRW ने कहा था कि पुरुष गार्जियन की व्यवस्था कानूनी रूप से स्पष्ट नहीं है। ये कई कानूनों, नीतियों और प्रथाओं को मिलाकर बनाया गया है। जिसके तहत बालिग महिलाओं को भी खास गतिविधियों के लिए पुरुष गार्जियन की अनुमति लेनी होती है। ये जरूरी नहीं कि पिता ही गार्जियन हो सकता है। पिता के अलावा भाई, गॉड फॉदर या पति भी पुरुष गार्जियन महिलाओं का हो सकते हैं।

HRW की रिपोर्ट में कई महिलाओं ने अपने ऊपर की आपबीती सुनाई। जिसमें एक महिला ने कहा कि इस व्यवस्था की वजह से कई महिलाओं को शोषण का शिकार होना पड़ता है।

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