बेटी की शादी के लिए जीवन भर गुलामी करने को तैयार मां, इमोशनल कर देगी पूरी कहानी

Published : Aug 31, 2022, 02:30 PM IST
बेटी की शादी के लिए जीवन भर गुलामी करने को तैयार मां,  इमोशनल कर देगी पूरी कहानी

सार

बेटी की जिंदगी खुशहाल रहे इसके लिए एक मां हर मुमकीन कोशिश करती है। यहां तक की वो खुद हर दुख बर्दाश्त करती है ताकि उसकी संतान खुश रहे। जम्मू से एक ऐसी गरीब मां की कहानी सामने आई है जो बेटी के लिए गुलाम बनने को तैयार है।

रिलेशनशिप डेस्क. मां के लिए संतान से बढ़कर दुनिया में कोई चीज नहीं होता है। उसकी खुशी के लिए वो कुछ भी करने को तैयार रहती है। जम्मू के सीमावर्ती इलाके आरएसपुरा से एक ऐसी ही मां की तस्वीर सामने आई है जिसे जानकर दिल पसीज जाएगा। वाकई आप इस मां के त्याग की कहानी आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि आखिर क्यों ऐसी स्थिति बनी।

आजादी के 75वां अमृत महोत्सव मना रहे हैं। लेकिन आज भी देश के चारों तरफ गरीबी और भूखमरी फैली हुई है।लोग बंधुआ मजदूरी तक करने को तैयार हैं। आरएसपुरा के एक गांव में रहने वाली महिला अपनी बेटी की शादी के लिए सरपंच के पास जाती है। वो शादी कराने के बदले में कुछ ऐसा प्रस्ताव रखती है जिसे जानकर सरपंच खुद हैरान रह जाते हैं।

बेटी की शादी कराने के लिए बंधुआ मजदूर बनने को तैयार मां

गरीबी की मारी महिला सरपंच के पास ये गुहार लेकर जाती है कि उसकी बेटी की शादी होनी है। बारात में 10 से 12 लोग आएंगे। लेकिन उसके पास इतना पैसा नहीं है कि वो उनकी आवभगत कर सकेगी। बेटी की शादी टूट ना जाए इसलिए वो सरपचं से शादी का प्रबंध करने के लिए गुहार लगाती है। इसके बदल में वो जीवन भर बंधुआ मजदूरी करने की पेशकश करती है। वो बोलती है कि जब तक वो जिंदा रहेगी तब तक उसके  घर का हर काम करेगी।

बेटी की धूमधाम से शादी करना चाहती है मां

महिला कहती है कि उसका सपना है कि उसकी बेटी की शादी उसी तरह धूमधाम से हो जैसा की दूसरी लड़कियों की होती है। वो गाय का दूध बेचकर परिवार का गुजारा बसर करती है। घर के नाम पर बस एक कमरा है। शादी के लिए उतने पैसे नहीं हैं। उसने पैसों का इंतजाम करने की पूरी कोशिश की। लेकिन जब जुगाड़ नहीं हो पाया तो उसने सरपंच से गुहार लगाई।

सरपंच ने मदद का दिया भरोसा

इलाके के सरपंच शाम लाल भगत ने मीडिया से बताया कि महिला की पेशकश ने उसे हैरत में डाल दिया था। उसने प्रस्ताव को इंकार करते हुए शादी धूमधाम कराने का भरोसा दिया। उसे कहा कि बेटी की शादी के लिए बंधुआ मजदूर बनने की जरूरत नहीं है। गांव के सारे लोग मिलकर बेटी की शादी में सहयोग करेंगे। खाने-पीने से लेकर हर तैयारी में सबका सहयोग होगा। सरपंच के आश्वासन के बाद एक मां बेटी को विदा करने की तैयारी में लग गई।

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